भोपाल,6 फरवरी(प्रेस सूचना केन्द्र)। दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगों से मुख्यमंत्री कमलनाथ का कोई लेना देना नहीं है। इस मुद्दे पर अब तक बिठाए गए आयोगों ने भी कमलनाथ को दोषी नहीं पाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके बावजूद सदन में कहा कि कांग्रेस ने सिख दंगों के आरोपों के बाद भी कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना रखा है। ये तथ्य गलत है और प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति को ये कहना शोभा नहीं देता। आज राजधानी के जनसंपर्क संचालनालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में श्री शर्मा ने दावा किया कि श्री कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश विकास की ओर बढ़ रहा है।
जब उन्हें बताया गया कि सिख दंगों के दौरान इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर संजय सूरी ने अपनी आंखों देखी घटना के बाद अपने अखबार में खबर छापी थी।जिसमें लिखा गया था कि स्वयं कमलनाथ ने सेंट्रल दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे के बाहर भीड़ का नेतृत्व किया था और उनकी उपस्थिति में दो सिख मारे गए थे। इस मामले की जांच करने वाले नानावटी आयोग ने कमलनाथ को संदेह का लाभ दिया था।जांच आयोग ने दो लोगों की गवाही सुनी थी, जिसमें तत्कालीन इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर संजय सूरी भी शामिल थे। उन्होंने कमलनाथ के मौके पर मौजूद होने की पुष्टि की थी। कमलनाथ ने यह स्वीकार किया था कि वे वहां मौजूद थे और भीड़ को शांत करने की कोशिश कर रहे थे।
पिछले दिनों शिरोमणी अकाली दल के सदस्य और दिल्ली के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने मांग की थी कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तुरंत कमलनाथ को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए कहें। उन्होंने दो गवाहों के लिए भी सुरक्षा की मांग की थी जो कमलनाथ के खिलाफ अदालत में गवाही देने के लिए तैयार हैं।
केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गृह मंत्रालय के सिख विरोधी दंगों का केस वापस खोलने के फैसले का स्वागत किया था। हरसिमरत बादल ने अपने ट्वीट में लिखा था कि ‘मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ मुकदमे को फिर से खोलना सिखों की जीत है। गलत तरीके से हल किए गए मामलों को फिर से खोलने के हमारे निरंतर प्रयासों का नतीजा है। अब कमलनाथ अपने अपराधों की कीमत चुकाएंगे.’
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