डूबकर उबरने का ख्वाब देखती कांग्रेस

नागरिकता संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर कांग्रेस ने जिस तरह अफवाहों की खेती करने की रणनीति अपनाई है उससे नई पीढ़ी के बीच बुढ़ाती कांग्रेस के पाप जोरदार ढंग से उजागर हो रहे हैं। कांग्रेस ने भाजपा पर देश को बांटने और धर्म के आधार पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया है लेकिन वह अपनी बोई जहर की खेती के बीच खुद घिर गई है। जिस नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर उसने देश भर में वितंडावात खड़ा किया। गैर कांग्रेस शासित राज्यों में दंगा फैलाने वालों का हाथ थामा उससे कांग्रेस की भद पिटी है। सोशल मीडिया के दौर में कांग्रेस और टुकड़े टुकड़े गैंग की असलियत उजागर हो गई है। रही सही कसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली से दिए अपने लंबे भाषण से पूरी कर दी। उन्होंने जिस तरह भड़काने वालों की धुलाई की उससे तो पूरे देश में लोक शिक्षण का महाअभियान पूरा हो गया है। अब लोग इस कानून पर भड़काने वालों की लू उतार रहे हैं। जिस नागरिकता संशोधन विधेयक का देश के किसी भी नागरिक से वास्ता नहीं है उसे देश से मुसलमानों को भगाने वाला कानून बताया जा रहा है। जबकि ये कानून 31 दिसंबर 2014 तक भारत में शरण मांगने आए शरणार्थियों की मदद का कानून है। वे लोग जो जातिगत प्रताड़ना से मजबूरी में भारत आए थे और आजादी के बाद से नागरिकता से वंचित रहे उनके कष्ट निवारण के लिए लाए गए कानून को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया जा रहा है। आज दिल्ली में कांग्रेस के आलाकमान ने इस कानून के विरोध में कथित सत्याग्रह किया। प्रदेशों की इकाईयों ने कानून के खिलाफ में बैठकें बुलाईं इसके बावजूद कांग्रेस के भीतर से जागरूक युवाओं का बड़ा तबका पार्टी की इस रणनीति से क्षुब्ध है। वह जानता है कि कांग्रेस केवल खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे वाले अंदाज में बोझिल राजनीति कर रही है। जो कानून नागरिकता देने का है उसे मुस्लिम भगाओ कानून बताकर कांग्रेस और उसके नेतागण देश में साम्प्रदायिक विद्वेष के बीज बो रहे हैं। वैसे तो देश का विभाजन स्वीकार करके कांग्रेस ने अंग्रेजों की ही राजनीति को आगे बढ़ाया था इसके बावजूद पिछले दरवाजे से भारत को धर्मनिरपेक्ष देश का तमगा देकर कांग्रेस खुद पर सहिष्णु होने का लेबल लगाती रही है। अब जबकि देश में भाजपा की सरकारें पंद्रह पंद्रह साल पूरे करके सामप्रदायिक सौमनस्य की मिसालें खड़ी कर चुकीं हैं तब कांग्रेस की राजनीति की असलियत उजागर हो गई है। एस बार तो राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर पर कांग्रेस के दुष्प्रचार से उसकी जातिवादी राजनीति का खुलासा ही हो गया है। एनआरसी का कानून कांग्रेस सरकार ही लाई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असम के बंग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें वापस खदेड़ने के लिए लागू किया। यह कानून शेष भारत में लागू नहीं है। इसके बावजूद दुष्प्रचार करने वाली टुकड़े टुकड़े गेंग ने कहना शुरु कर दिया है कि जब भाजपा अल्पमत में होने के बावजूद राज्यसभा में भी कानून पारित करा सकती है तो भविष्य में वह मुसलमानों को देश से बाहर निकालने का कानून भी बना सकती है। इससे भयभीत मुस्लिम लामबंद हो गए हैं। उनमें से कुछ असामाजिक तत्वों ने दंगा फैलाने और पुलिस पर हमले करने की कोशिशें भी करनी शुरु कर दीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अभियान के बाद देश भर में कानून के समर्थन में भी लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। कांग्रेस के नीति निर्धारक चाहते हैं कि देश में दंगा फसाद हो और भाजपा सरकार को बदनाम करने के साथ साथ देश में वोटों की खेती भी की जा सके। इसके विपरीत कांग्रेस का ये दांव उलटा पड़ रहा है। कांग्रेस ने मुस्लिमों को लामबंद करने की जो रणनीति अपनाई है उससे हिंदु मतों का ध्रुवीकरण भी हो रहा है। कांग्रेस के ये नेता जानते हैं कि सौ फीसदी मुस्लिम मत हासिल करके वह अपना खोया जनाधार फिर पा सकती है। मध्यप्रदेश में आदिवासी और मुस्लिम मतों से सत्ता में आने का सफल प्रयोग वह आजमा चुकी है। कांग्रेस के नेतागण इसी रणनीति पर चल रहे हैं। देश में उसने गठबंधन की रणनीति अपनाकर पिछले दरवाजे से सत्ता में आने का सफल राजनीतिक खेल खेला है।महाराष्ट्र के बाद अब झारखंड में भी उसने यही फार्मूला दोहराया है। इसके बावजूद सत्ता का ये खेल देश के सामजिक सद्भाव को तार तार कर रहा है। जिस संविधान की शपथ लेकर कमलनाथ जैसे उसके क्षत्रप सत्ता में पहुंचे हैं वे अब उसी संविधान के कानून का विरोध करके उस संविधान की औकात दो कौंड़ी की बता रहे हैं। कांग्रेस पुत्र राहुल गांधी तो कई मंचों पर कानूनी कागजों को फाड़कर अपने इरादे बता चुके हैं। अब इस कानून की दुहाई यदि भाजपा देती भी रहे तो क्या फर्क पड़ता है। भाजपा अभी तक कांग्रेस के बनाए राजमार्ग पर चलने की राजनीति करती रही है। पहली बार उसे महसूस हो रहा है कि उसका कैडर और कानून का पालन करने की सदाशयता कोई काम की नहीं है। वास्तव में देश को जनहित की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल की जरूरत है। कांग्रेस और भाजपा दोनों कानून के आड़ में सत्ता चलाने का खेल खेलती रहीं हैं। निश्चित रूप से देश को सीरिया बनने से बचाने के लिए युवाओं को आगे आना होगा। विभाजनकारी राजनीतिक को धराशायी करना होगा। तभी हम बुलंद देश के अपने सपने को साकार होता देख सकेंगे। कांग्रेस को हक है कि वह नकारात्मक राजनीति करके डूबकर उबरने का ख्वाब देखे पर देश को आज सकारात्मक राजनीति की जरूरत है। जिसके लिए षड़यंत्रों की राजनीति को उसकी हैसियत बताना जरूरी है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*