भोपाल,22अक्टूबर(प्रेस सूचना केन्द्र)। शुद्ध के लिए युद्ध नाम से चलाई गई कमलनाथ सरकार की पाखंडी मुहिम पर अंततः केन्द्र सरकार ने हस्तक्षेप करके विराम लगा दिया है। उज्जैन के एक घी व्यापारी पर लगाई गई रासुका का प्रकरण हटाकर केन्द्र के गृह विभाग ने राज्य सरकार की तमाम कार्रवाईयों को संदेह के दायरे में ला दिया है। रासुका हटाए जाने से बिलबिलाई कमलनाथ कांग्रेस ने इसके बाद अनर्गल प्रलाप शुरु कर दिया है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा और उपाध्यक्ष अभय दुबे ने उज्जैन के घी व्यापारी कीर्ति वर्धन केलकर पर लगाई रासुका हटाने की कार्रवाई को शर्मनाक बताया है।अभय दुबे का कहना है कि कीर्ति वर्धन केलकर को 30 जुलाई 2019 को उज्जैन प्रशासन ने नकली घी बनाते हुए तथा केमिकल एवं रसायनों के साथ पकड़ा था। कार्रवाई करने वाले अमले का आरोप था कि व्यक्ति अपने परिसर में बेकरी शार्टनिंग के नाम पर मिलावटी घी का निर्माण कर रहा था। इस व्यक्ति से 45 किलो घी जब्त करके सैंपल को जांच के लिए भेजा गया था। जांच रिपोर्ट में सामग्री अवमानक (कम गुणवत्ता) स्तर की पाई गई। इसके बाद आरोपी के खिलाफ एफएसएस एक्ट 2006 की धारा 26(2)(ii) तथा नियम 2011 सहपठित धारा 51 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया।
खाद्य विभाग का आरोप था कि यह व्यक्ति आदतन अपराधी है। इसके पूर्व 2015 में भी इसका नमूना लिया गया था, तब भी सामग्री घटिया गुणवत्ता की पाई गई थी। वह प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। दो प्रकरण बन जाने के कारण व्यापारी को आदतन अपराधी बताते हुए कलेक्टर ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 3(2) के तहत कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई थी। इस प्रकरण में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 10 अक्टूबर 2019 को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 की धारा 14 (1) के तहत रासुका की कार्रवाई को निष्प्रभावी कर दिया है।
शोभा ओझा और अभय दुबे ने केंद्रीय गृहविभाग की इस कार्रवाई को शर्मनाक बताते हुए आरोप लगाया है कि मप्र भाजपा के बड़े नेता सत्ता में रहते हुए भी मिलावट खोरों के साथ खड़े थे और आज विपक्ष में रहकर भी मिलावटखोरों का साथ निभा रहे हैं।
अभय दुबे का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में अब तक 89 व्यापारियों के विरुद्ध मिलावटखोरी के लिए एफआईआर दर्ज की है। 31 मिलावटखोरों पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है। पूरे प्रदेश में इस साल 19 जुलाई से 16 अक्टूबर तक दूध उत्पादनों एवं अन्य खाद्य पदार्थों, पान मसाला सहित कुछ 7425 नमूने जांच के लिए दिए गए हैं। इनमें से राज्य प्रयोगशालाओं और अन्य प्रयोगशालाओं से कुछ 2147 नमूनों की रिपोर्ट आई है। इनमें 666 अवमानक (कम गुणवत्ता के) पाए गए हैं। 163 मिथ्याछाप(दूसरे ब्रांड के) पाए गए हैं। 40 मिलावटी पाए गए हैं। 36 सुरक्षित पाए गए और 30 प्रतिबंधित पाए गए हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार के अभियान को समर्थन देने के लिए कई जिलों में खाद्य अधिकारियों ने फर्जी तरीके से रिपोर्ट बिगड़वाई और व्यापारियों के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की है। इसकी शिकायतें कई जिलों से आ रहीं हैं और प्रकरण अदालतों में लंबित पड़े हैं। कुछ प्रकरणों को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है और कई अन्य विचाराधीन हैं। इस मुहिम की आड़ में सत्ता के दलालों ने व्यापारियों को धमका चमकाकर लाखों रुपए वसूले हैं। व्यापारियों के नमूने अवमानक बताने के लिए खाद्य विभाग के अफसर फर्जी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं और पुलिस कार्रवाई के नाम पर व्यापारियों से लाखों रुपए ऐंठे जा रहे हैं। स्थानीय निकायों ने भी खाद्य सुरक्षा के नाम पर अपनी टीमें बना लीं हैं जो व्यापारियों से महीना वसूल रहीं हैं। राज्य सरकार की इस पाखंडपूर्ण कार्रवाई के बावजूद बाजार में नकली खाद्य सामग्रियां धड़ल्ले से बिक रहीं हैं और निर्दोष व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है। सरकार की इस कार्रवाई पर लगाम लगाकर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने साफ जाहिर कर दिया है कि राज्य सरकार की अन्यायपूर्ण गतिविधियों पर वह चुप्पी साधे नहीं रह सकती।
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