खाट लुटे या बैंक, सलामत रहे वोट बैंक

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फार्मूलों के दम पर राज करती रही कांग्रेस ने एक नया जुमला उछाला है। कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी कह रहे हैं कि गरीब खाट ले गए तो भाजपा उन्हें चोर बता रही है और विजय माल्या करोड़ों रुपए लेकर भाग गया तो उसे डिफाल्टर बता रही है। कहा जाता है कि एक झूठ सौ बार बोलो तो वह सच की तरह असरकारी बन जाता है। कुछ इसी तरह कांदा कांदा, प्याज प्याज चिल्लाकर भी कांग्रेस सत्ता पर सवारी कर चुकी है। इस बार उसे उम्मीद है कि उसकी सत्ता खाट से होकर गुजरेगी।

देवरिया में कांग्रेस ने जो खाट पंचायत बुलाई उसका मास्टर माईंड पीके यानि प्रशांत किशोर को बताया जा रहा है। पीके चुनावी राजनीति के सफल खिलाड़ी बताए जाते हैं। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए भी मार्केटिंग कर चुके हैं। इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि वे यूपी के चुनाव में अपने लेखकीय जौहर का जलवा जरूर दिखाएंगे। भारत में लोकतंत्र है और सपने देखने का सभी को हक है। कांग्रेस ने आजादी के सत्तर सालों में गरीब की दुहाई देकर जो धन संपदा जुटाई है वह अरबों रुपयों की है। नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक कांग्रेस ने सरकारी योजनाओं से जुटाए धन को दुनिया के कई मुल्कों में निवेश किया है। विदेशी धन और कालाधन चिल्ला चिल्लाकर उसे वापस लाने का दावा करती रही भाजपा अब लगभग हताश नजर आ रही है। क्योंकि वह इस कथित काले धन को देश में वापस नहीं ला पाई है। भाजपा का उपहास उड़ाते कांग्रेसी कहते रहे हैं कि मोदी हर वोटर के खाते में पंद्रह लाख रुपए लाने का वादा करते रहे हैं। जबकि हकीकत ये है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कभी ऐसा कोई दावा किया ही नहीं। चुनाव के दौरान उन्होंने ये जरूर कहा था कि देश का काला धन ….यदि…. वापस आ जाए तो हर नागरिक को पंद्रह लाख रुपए तक मिल सकते हैं। बात को छीलकर मोदी के मुंह में घुसेड़ने का कांग्रेस का अभियान अब तक तो सफल नहीं हो पाया है। कांग्रेसी जरूर कुतर्क देते मिल जाएंगे कि मोदी अपना वादा नहीं निभा सके लेकिन देश का होशियार मतदाता कांग्रेस के इन कुतर्कों को अच्छी तरह समझ चुका है। इंटरनेट पर प्रधानमंत्री मोदी का मूल भाषण आज भी उपलब्ध है जिसे देखसुनकर कांग्रेस के षड़यंत्र को आसानी से समझा जा सकता है।यही वजह है कि कांग्रेस की खटिया लुटने पर देश के लोगों ने राहुल गांधी का ही उपहास उड़ाया है। वे जितनी बार इसके बारे में कुतर्क दे रहे हैं उनकी पार्टी की कलई उतनी ही ज्यादा उतरती जा रही है।

पीके की इसी तरह की सलाहें यदि जारी रहें तो कोई आश्चर्य नहीं कि यूपी में कांग्रेस गिनती की सीटें भी नहीं पा सकेगी। दरअसल प्रचार माध्यमों की एक सीमा होती है। वे आपकी छवि निखार तो सकते हैं लेकिन उसके लिए जमीनी धरातल और सच्चाई भी होना जरूरी है। कांग्रेस जब अपने सबसे बुरे दौर में गुजर रही है और बार बार शंका की जा रही है कि कांग्रेस अब मर चुकी है तब उसका प्रचार करना वाकई टेढ़ी खीर है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि पहली बार प्रशांत किशोर यूपी में असफल होंगे और बुरी तरह पिटकर बाहर कर दिए जाएंगे। वे जो तर्क गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं वह देश की नई पीढ़ी के सामने महज शिगूफा बनकर सामने आ रहे हैं। अब ये कौन नहीं जानता कि विजय माल्या कांग्रेस की अवैध संतान रहे हैं। ये बात सही है कि कांग्रेस की लुटिया डूबते देख माल्या ने भाजपा का दामन पकड़ लिया था। चुनावी दौर में धन की अनिवार्यता को देखते हुए भाजपा ने उसे अपना भी लिया था लेकिन जब उसकी पोल खुली तो भाजपा ने उसके खिलाफ कार्रवाई करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी।

देश को अच्छी तरह मालूम है कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी की पहल पर हुआ था। तब लंबे चौड़े दावे किए गए थे कि ये सरकारी बैंक देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगे। लेकिन धीरे धीरे ये बैंक लूट लिए गए। उद्योग लगाने के नाम पर कांग्रेसियों ने लोन फायनेंस कराए। ये लोन डूबने ही थे क्योंकि उन्हें केवल बैलेंसशीट पर ही चलने वाले उद्योगों के लिए फायनेंस कराया गया था। माल्या जैसे हजारों उद्योगपतियों ने बैंकों को खाली कर दिया। इसमें सरकारी क्षेत्र के बैंकों के अफसरों की साफ मिली भगत थी। उन्होने अपने प्रमोशन सुनिश्चित करने के लिए नेताओं के निर्देशों का पालन किया और देश की पूंजी को फोकटियों के हवाले कर दिया। नतीजा सामने है। आज देश के सामने पूंजी का संकट है।रुपया ब्रिटेन के पाऊंड की तुलना में 95 गुना भिखारी है। डालर की तुलना में लगभग सत्तर गुना विपन्न है। इसकी वजह यही है कि माल्या जैसे उद्योगपतियों ने डिफाल्टर बनकर ब्रिटेन में शरण ले ली और भारत का पंगु कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सका। अब गरीबी की दुहाई देने वाला कांग्रेस का राजकुमार कह रहा है कि भाजपाई खटिया ले जाने वालों को लुटेरा बता रहे हैं। ये झूठ इतने पुख्ता अंदाज में बोला जा रहा है और इसे लूट पोषित मीडिया इतनी सफाई से प्रचारित कर रहा है मानों भाजपा किसानों को खटिया लुटेरा ठहरा रही है। जबकि हकीकत ये है कि आजादी के सत्तर सालों बाद भी देश के लोगों की हैसियत इतनी खराब है कि वे खटिया जैसी सस्ती वस्तु को भी मौका मिलने पर उठा ले जाते हैं। यदि उनकी जेबें भरी होतीं तो वे खटिया तो क्या पलंग को भी हाथ नहीं लगाते।

यही कांग्रेस की कीमियागिरी है कि वह देश के आम लोगों को चोर बनाती है और फिर बड़ी सफाई से उसका लांछन अपने विरोधियों पर मढ़ देती है।देश की नई पीढ़ी से उम्मीद की जा सकती है कि वह कांग्रेस के इस गोरखधंधे को समझ सकेगी । यूपी की अखिलेश यादव सरकार इस झूठ का पर्दाफाश कर सकेगी इसमें संशय है। क्योंकि वह सरकार बसपा की महारानी मायावती के लूट के धन को बचाने के फेर में कदम पीछे खींच लेने के कारण सत्ता में आई थी। यूपी का चुनावी रण कांग्रेस, बसपा और सपा की धमाचौकड़ी के कारण दलदली हो गया है। इसके बीच भाजपा अपना वोटबैंक सहेजने में सफल रही है। इसके बावजूद जो निर्णयकारी मतदाता हैं उनकी खेती करने में भाजपा असफल हो रही है। उसके पास कोई ऐसा प्रभावी नेतृत्व नहीं जो इन फ्लोटिंग मतदाताओं को अपने पक्ष में खड़ा कर सके। इसकी तुलना में राहुल गांधी और शीला दीक्षित दोनों दमदारी से मैदान पर उतर खड़े हुए हैं। यही कारण है कि यूपी का माहौल कांग्रेस की अकूत धनसंपदा और रणनीति के चलते गरमा गया है।

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