दिग्विजय सिंह ने रची थी हिंदुओं को आतंकी बताने की साजिशःप्रेम शुक्ल

भोपाल,3 मई(प्रेस सूचना केन्द्र)। साध्वी प्रज्ञा को बमकांड के झूठे आरोप में फंसाकर हिंदुओं को आतंकवादी बताने का षड़यंत्र कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह और उनके सहयोगियों ने रचा था। इससे वे पूरी दुनिया में हिंदुओं को उसी तरह संदिग्ध बनाने की साजिश कर रहे थे जिस तरह पाकिस्तान के नागरिकों को कई देशों में शंका की दृष्टि से देखा जाता है। मालेगांव बम धमाके में साध्वी प्रज्ञा को जिस पुरानी मोटरसाईकिल से रिश्ता जोड़कर गिरफ्तार किया गया था वह पुलिस ने आठ दिन बाद बरामद की, जिससे साबित होता है कि ये सोची समझी साजिश थी।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और ख्यातनाम पत्रकार प्रेम शुक्ल ने आज भोपाल में आयोजित बुद्धिजीवियों की चाय पर चर्चा में ये बात कही। भारत में आतंकवाद से हिंदुओं को जोड़ने के विषय पर लिखी गई चार पुस्तकों पर चर्चा के दौरान देश की आतंकवादी घटनाओं की पृष्ठभूमि की पड़ताल करने का प्रयास किया गया।इस दौरान भगवा आतंक एक षड़यंत्र किताब के लेखक आरवीएस मणि और द ग्रेट इंडियन कांस्पिरेसी के लेखक प्रवीण तिवारी ने आतंकी घटनाओं की पृष्ठभूमि पर अपने नजरिए का खुलासा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर मिश्र पंकज ने की। आयोजक के तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की महासचिव रेशम सिंह ने अपना मार्गदर्शन दिया। मंच की ओर से कार्यक्रम का संचालन विचारक अनिल सौमित्र ने किया।

अपने वक्तव्य में प्रेम शुक्ल ने कहा कि बाबरी विध्वंस के बाद राजनीति में जिस तरह भाजपा का उदय हुआ उसे देखते हुए कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद की कहानी रचकर देश को बदनाम करने की साजिश रची। मालेगांव में फोड़ा गया बम जहां बनाया गया उसकी मिट्टी और बम रखने के लिए इस्तेमाल साईकिल बरामद करके आतंकवादियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। सफदर नागौरी के नार्को एनालिसिस टेस्ट में सारी कहानी सामने आ गई। पुलिस ने मुंबई हमले की साजिश में उजागर हुए डेविड कोलमेन हेडली ने भी इसी कहानी को सत्यापित किया।इसके बावजूद पुलिस ने लंबे समय तक चालान पेश नहीं किया और बाद में आरोपी संदेह का लाभ देकर छोड़ दिए गए।

इसकी वजह तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल, दिग्विजय सिंह और सुशील कुमार शिंदे जैसे नेता थे। किन्हीं विदेशी ताकतों के साथ मिलकर इन्होंने देश के खिलाफ षड़यंत्र किया। मालेगांव बम धमाके में अचानक एटीएस साध्वी प्रज्ञा भारती,समीर कुलकर्णी, कर्नल पुरोहित, असीमानंद और अन्य के नाम सामने लाए गए। कहा गया कि आरएसएस की विचारधारा से जुड़े इन लोगों ने ये बम फोड़ा था। इस कहानी का आधार साध्वी प्रज्ञा की वो कथित मोटरसाईकिल थी जिसे इन लोगों की गिरफ्तारी के आठ दिनों बाद बरामद किया गया। हिंदू आतंकवाद की कहानी दिग्विजय सिंह ने ही रची थी।यदि 26।11हमले में अजमल कसाब नहीं पकड़ा जाता और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका का खुलासा नहीं होता तो मारे गए आतंकवादियों के फर्जी हिंदू नामों वाले परिचयपत्रों और हाथों में बंधे कलावा के आधार पर हिंदू आतंकवाद को प्रमाणित कर दिया जाता।

उन्होंने बताया कि जब ये घटना हुई थी तब कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने दबाव डालकर हसन कपूर को मुंबई पुलिस का मुखिया बनवाया गया था। उनके हस्तक्षेप से इन घटनाओं के साक्ष्य मिटाने की साजिश की गई। अजीज बर्नी की जिस विवादित पुस्तक को आनन फानन में लिखवाया गया और दिग्विजय सिंह उसका विमोचन करने पहुंचे उसमें कहा गया कि हेमंत करकरे हिंदू आतंकवाद के कारण मारे गए। जबकि उस दुष्टात्मा का निधन आतंकवादियों की गोली से हुआ था। उन्होंने कहा कि देश में अब तक जो आतंकवादी पकड़े गए या मारे गए वे अजमेर शरीफ की दरगाह, फातिमा की दरगाह को तो निशाना बनाते रहे लेकिन उन्होंने कभी किसी देवबंदी मस्जिद को निशाना नहीं बनाया। श्री शुक्ल ने आव्हान किया कि जिन लोगों ने साध्वी प्रज्ञा को नौ सालों तक अमानवीय प्रताड़ना दी जनता उन्हें सौ सालों तक के लिए सत्ता से बाहर फेंक देगी।

जब देश में ये आतंकवादी घटनाएं चल रहीं थीं तब गृह मंत्रालय में अवर सचिव रहे आरवीएस मणि ने जब देशभक्तों के खिलाफ इन षडयंत्रों को करीब से देखा तो उन्होंने इसका राज फाश करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने भगवा आतंक एक षड़यंत्र नाम से लिखी पुस्तक में पूरे षड़यंत्र के दस्तावेजी प्रमाण भी प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने पुस्तक में लिखी बातों के संबंध में बताया कि गृहमंत्री चिदंबरम ने 2010 में देवबंद जाकर भगवा आतंकवाद शब्द कहकर देश के लोगों को ही अपराधी बताने का काम किया था। एटीएस ने ही समझौता एक्सप्रेस के आतंकवादियों को भाग निकलने में मदद की। बाटला हाऊस एनकाऊंटर को फर्जी बताकर दिग्विजय सिंह, सोनिया गांधी जैसे नेताओं ने बहादुर अफसर मोहन शर्मा की शहादत का मजाक उड़ाया था। इस तरह कांग्रेस ने आतंकवाद को अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बताकर न केवल मुस्लिमों की हत्याएं करवाईं बल्कि हिंदू आतंकवाद जैसा झूठा शब्द रचकर देश के मूल नागरिकों को बदनाम करने का काम किया था।

आतंक से समझौता पुस्तक के लेखक प्रवीण तिवारी ने कहा कि जिस दिन स्वामी विवेकानंद के शरीर के भगवा रंग के कपड़ों को आतंक से जोड़ने की साजिश की गई उसे देखकर हर आम भारतीय का मन दुखी हुआ था। एटीएस ने आतंकवाद की जड़ें खोदने वाले कर्नल पुरोहित और उनके सहयोगियों को ही इस कांड में आरोपी बना दिया और असली दोषियों को बच निकलने की पृष्ठभूमि तैयार की। भाजपा की प्रत्याशी प्रज्ञा भारती भी इस षड़यंत्र का शिकार हुई थीं। उन्हें लौमहर्षक प्रताड़ना दी गई। आज हर राष्ट्रभक्त नागरिक का दायित्व है कि वो देश के विरुद्ध षड़यंत्र करने वालों को दंडित करे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार रामेश्वर मिश्र पंकज ने कहा भारत की अस्मिता का अपमान करने वाले दिग्विजय सिंह, चिदंबरम जैसे लोगों को सजा देने का दायित्व अब जनता का है।आयोजन में श्रोता के रूप में शामिल सूर्यकांत केलकर ने कहा कि भारत रक्षा मंच से जुड़े एड्व्होकेट हिंदू आतंकवाद जैसा शब्द रचने के दोषी लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करेंगे। एड्व्होकेट साधना पाठक ने कहा कि जब हम अपने वकील साथियों को लेकर साध्वी प्रज्ञा के बयान लेने जाते थे तब हमने उनकी असहनीय वेदना को करीब से महसूस किया था। उन्होंने कहा कि निर्दोष नागरिकों के विरुद्ध षड़यंत्र करने वालों के विरुद्ध हम अब तक लगभग उदार रहे हैं, पर अब समय आ गया है कि जब हम उन्हें आगे बढ़कर दंडित करें।

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