
भोपाल, 15 मार्च(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। केनरा बैंक की मैनेजर से दो करोड़ इक्कीस लाख रुपए की ठगी करने वाले बूटकाम सिस्टम्स के प्रकाश चंद्र गुप्ता की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने केस डायरी आने तक लंबित कर दिया है। उसके आपराधिक रिकार्ड को देखते हुए अदालत ने कहा है कि गुप्ता को आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण प्रकरण क्रमांक MCRC/11442/2025 में जमानत पर छोड़ने का कोई तर्क मान्य नहीं किया जा सकता।केनरा बैंक प्रबंधन ने अदालत में केविएट दायर की थी कि इस तरह के किसी जमानत आवेदन पर सुनवाई से पहले बैंक का पक्ष सुना जाए। गुप्ता फिलहाल भोपाल केन्द्रीय जेल में बंद है और उसकी जमानत के लिए कई बड़े सूदखोरों ने न्यायपालिका से जुड़े अपने दलालों को सक्रिय कर रखा है। केनरा बैंक और उसकी मैनेजर ने जो प्राथमिकी दर्ज कराई है उसमें गुप्ता प्रथम दृष्टया अपराधी नजर आ रहा है।
विधिक जानकारों के अनुसार कंप्यूटर व्यवसायी के रूप में पहचान बनाने वाला लालगंज का ठग प्रकाशचंद्र गुप्ता वास्तव में सफेदपोश अपराधी है। उसने समाज के कई प्रतिष्ठित लोगों से ठगी करके वह रकम बैंकों से कई हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने वाले माफिया के पास जमा कराए हैं। इस राशि पर वह हर महीने मोटा ब्याज प्राप्त करता है। इसी धनराशि से वह अदालती दांवपेंच खेलकर जजों के अपने प्रभाव में लेता है और आपराधिक चरित्र के वकीलों की मदद से हर बार बच निकलता रहा है।इसके बावजूद भोपाल पुलिस ने जो तथ्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए हैं वे उसके आपराधिक चरित्र के अटल साक्ष्य बन गए हैं।
भोपाल पुलिस लंबे समय से उसके आपराधिक कारनामों के साक्ष्य जुटाती रही है। हर बार वह कुछ निजी हस्ताक्षर विशेषज्ञों और फोरेंसिक एक्सपर्ट की मदद से फर्जी साक्ष्य बनाकर अदालतों की आंखों में धूल झोंकता रहा है। इस बार केनरा बैंक घोटाले में वह साफ तौर पर अदालत के हत्थे चढ़ा है। उसके विरुद्ध पास्को एक्ट का भी एक गंभीर मुकदमा चल रहा है ।उसने अपने मकान को गिरवी रखकर केनरा बैंक से दो करोड़ साठ लाख रुपए का कर्ज लिया था। इस राशि पर उसे मासिक ब्याज की किस्त भरना पड़ती थी लेकिन उसने अप्रैल 2023 से ब्याज देना बंद कर दिया था। इसी वसूली के लिए जब केनरा बैंक कोहेफिजा की मैनेजर उसकी दूकान पर पहुंची तो उसने मैनेजर व उसके सहयोगी को एक लाख 21 हजार रुपए दिए पर अपनी जमा परची में इस राशि को दो करोड़ इक्कीस लाख बीस हजार रुपए लिख लिया । इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वह सरफेसी एक्ट में मकान नीलामी के विरुद्ध अदालत जा पहुंचा। यहां धोखाघड़ी पकड़ी गई और साक्ष्यों के आधार पर ही उसे निचली अदालत ने जेल भेजा था।
भोपाल के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार सिंह ने प्रकाश चंद्र गुप्ता उर्फ पीसी गुप्ता का जमानत आवेदन इस आधार पर खारिज किया था कि बैंक को सरफेसी एक्ट में उसका मकान नीलाम करने का पूरा हक है। इसके बावजूद उसने बैंक मैनेजर के साथ फर्जी दस्तावेज बनाकर ठगी की है। शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक माधुरी पाराशर ने कहा कि गुप्ता ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बैंक अधिकारियों को झांसा देने का प्रयास किया है। इसलिए उसे समाज में आजाद रहकर व्यापार करने का कोई हक नहीं है।
गौरतलब है कि उसकी दो पत्नियां और दो बेटियां इन दिनों उसका कारोबार संभाल रहीं हैं। इसके विरुद्ध कई शिकायत कर्ताओं ने अदालत में आवेदन देकर उसके पारिवारिक सदस्यों को भी ठगी का सहआरोपी बनाने का निवेदन किया है। विघानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह जी के बेटे से भी तीन करोड़ रुपए की ठगी करने के आरोप में गुप्ता पहले भी जेल जा चुका है।भोपाल पुलिस ने जिस गंभीरता के साथ उसके विरुद्ध चल रहे सभी प्रकरणों को नत्थी करके अदालत से समक्ष प्रस्तुत किया है उसे देखते हुए गुप्ता की जेल यात्रा इस बार सजा तक जारी रहने की उम्मीद की जा रही है।गुप्ता ने जो धन आम नागरिकों से ठगी करके जुटाया है और ब्याज पर बड़े बैंक घोटालेबाजों के पास जमा कर ऱखा है उस पर उसे लगातार मोटा ब्याज मिल रहा है। इस रकम से वह अदालती खर्च को आसानी से वहन करता चला आ रहा है।
really investigation story…..