भोपाल,26 दिसंबर(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)।ट्रांसपोर्ट माफिया सौरभ शर्मा की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज हो गई है। भोपाल के विशेष न्यायाधीश रामप्रताप मिश्रा की अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उसका आवेदन खारिज कर दिया है। आरोपी के वकील का कहना था कि सौरभ सरकारी कर्मचारी नहीं है इसलिए उसे अपने बचाव में तथ्य प्रस्तुत करने के लिए समय दिया जाए। अदालत ने कहा कि वह स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति की वजह से सरकारी कर्मचारी है और मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे जमानत नहीं दी जा सकती।
ग्वालियर के वकील राकेश पाराशर का कहना है कि सौरभ सरकारी कर्मचारी नहीं है इसलिए लोकायुक्त ने उसके खिलाफ गलत कार्रवाई की है। जो संपत्ति उसकी बताई जा रही है वह उसकी नहीं है।सोने चांदी पर भी उसका नाम नहीं लिखा है। उन्हें शंका है कि कहीं माफिया के अन्य गुर्गे उसकी गोली मारकर हत्या न कर दें। सौरभ के जिन पार्टनर्स और बिल्डरों ने करोड़ों रुपयों की दौलत बनाई है और लगभग पांच सौ करोड़ से अधिक का आयकर चोरी किया है वे ही सौरभ की जान के दुश्मन बने हुए हैं। आठ करोड़ की संपत्ति और 52 किलो सोने की जब्ती का मामला इतना गंभीर है कि उसे अब किसी और अदालत से भी राहत मिलने की संभावना नहीं है। पुलिस को उम्मीद है कि उसका सहयोगी चेतन सिंह गौर पुलिस के लिए अहम गवाह साबित हो सकता है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की जिस धारा 482 में ये अग्रिम जमानत का आवेदन लगाया गया है उसमें गंभीर मामलों में जमानत दिए जाने की प्रक्रिया कठिन कर दी गई है। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जिस धारा 438 के अंतर्गत अग्रिम जमानत की सुनवाई की जाती थी अब उसके खंड(1ए)और (1बी) को हटा दिया गया है। सीआरपीसी की धारा 438 के (2)(3) और (4) को उसी रूप में रखा गया है। जाहिर है कि अपराधियों के कानून से भागने की राह कठिन कर दी गई है। ऐसे में पुलिस को उसे अपनी अभिरक्षा में रखना आसान होगा।
भारत की कई जांच एजेंसियां सौरभ की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं और आज रात तक उसके भारत लौटने की सूचना भी मिली है। उसे भारत आते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा और पुलिस अभिरक्षा में उससे पूछताछ होगी।इस पूरी प्रक्रिया को कई जांच एजेंसियों ने अपने नियंत्रण में ले लिया है और अन्य आपराधिक तत्वों या माफिया के गुर्गों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
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