अग्निवीरों को चिंतामुक्त करने के उपाय करेगी सेना

अग्निवीरः सेना को युवा बनाने के अभियान पर कांग्रेस का विषवमन


नई दिल्ली,13 जुलाई(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना वर्तमान में सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ भर्ती कार्यक्रम का आंतरिक मूल्यांकन कर रही है और कुछ समायोजन का सुझाव दे सकती है ।
केंद्र सरकार ने 2022 में इस महत्वाकांक्षी योजना को शुरु किया था। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इस योजना पर सवाल उठाए थे इसके बाद सेना ने आंतरिक मूल्यांकन करके योजना में और भी नए सुधार शामिल करने की तैयारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समीक्षा का उद्देश्य आने वाली सरकार को कार्यक्रम में संभावित संशोधन करने में सहायता प्रदान करना है।


इंडियन एक्सप्रेस ने जिन अधिकारियों के हवाले से ये खबर जारी की है उसमें बताया गया है कि , सेना का सर्वेक्षण अग्निवीरों सहित विभिन्न हितधारकों से फीडबैक एकत्र कर रहा है, साथ ही विभिन्न रेजिमेंटल केंद्रों में भर्ती और प्रशिक्षण कर्मियों, तथा अग्निवीरों की देखरेख करने वाले यूनिट और सब-यूनिट कमांडरों से भी फीडबैक एकत्र कर रहा है।रिपोर्ट में बताया गया है कि सेना ने संबंधित पक्षों को 10 सवालों वाली प्रश्नावली भेजी थी। मई माह तक उसने प्राप्त फीडबैक के आधार पर नए सुधार लागू करके योजना को कारगर बनाया है।


फीडबैक में योजना के शुरू होने से पहले भर्ती किए गए सैनिकों के साथ अग्निवीरों के तुलनात्मक प्रदर्शन का विश्लेषण, साथ ही उनके सकारात्मक और नकारात्मक गुणों पर टिप्पणियां शामिल होंगी।
इस फीडबैक के आधार पर, सेना योजना में संभावित समायोजन का प्रस्ताव करेगी। इसके अतिरिक्त, अग्निवीरों से रक्षा सेवाओं में शामिल होने के उनके उद्देश्यों, उनके पिछले नौकरी प्रयासों और क्या उन्हें लगता है कि उन्हें स्थायी रूप से सेना में शामिल किया जाना चाहिए, के बारे में इनपुट मांगा जाएगा। वे अपनी चार साल की सेवा पूरी होने के बाद अपने पसंदीदा करियर विकल्पों के बारे में भी जानकारी देंगे और क्या वे सेना में सेवा जारी रखना चाहते हैं।इसके अलावा, सर्वेक्षण में यह भी पूछा जाएगा कि क्या ये सैनिक अपने परिचितों को अग्निवीर बनने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।


अग्निपथ योजना के तहत सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए पुरुष और महिला दोनों उम्मीदवारों की भर्ती की जाती है, जिन्हें अग्निवीर के नाम से जाना जाता है। उन्हें या तो सीधे शैक्षणिक संस्थानों से या भर्ती रैलियों के माध्यम से भर्ती किया जाता है। सैनिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे पेंशन के लिए पात्रता के बिना चार साल की अवधि तक सेवा करें।
योजना की शर्तों ने विवाद को जन्म दिया है, तथा सेवानिवृत्त सैनिकों और इच्छुक व्यक्तियों ने सेवारत कार्मिकों पर इसके संभावित प्रभाव, सशस्त्र बलों की व्यावसायिकता और नागरिक समाज के संभावित सैन्यीकरण के संबंध में चिंताएं व्यक्त की हैं।


हरियाणा में हाल ही में एक रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि सेना अग्निपथ योजना का विरोध करती है, जिसका श्रेय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया तथा कहा कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो वह इसे बंद कर देंगे।
हालाँकि, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहले कहा था कि यदि आवश्यक हो तो सरकार अग्निपथ योजना में समायोजन करने के लिए तैयार है।
वर्तमान में, 40,000 अग्निवीरों के दो बैच सेना में सेवारत हैं, जिनमें से 7,385 अग्निवीरों के तीन बैचों ने नौसेना में प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, तथा 4,955 अग्निवीर वायु प्रशिक्षु वायु सेना में प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस के इस दुष्प्रचार अभियान से सेना के भीतर भी असमंजस की स्थितियां बन गईं थीं। जिस प्रकार नई पेंशन स्कीम को लेकर कांग्रेस ने हंगामा मचाया था उसी प्रकार सेना की पेंशन के आधार पर वैमनस्य के बीज बोने की कोशिश की गई है।गृह मंत्रालय के सूत्र इस हंगामे को विदेश प्रवर्तित मानने से इंकार नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि भले ही ये दुष्प्रचार किन्हीं विदेशी ताकतों के इशारे पर किया जा रहा हो लेकिन इससे हमें आंतरिक सुधार का अवसर मिला है और हम अपने सैनिकों और उनके परिवारों के बेहतर भविष्य के लिए आवश्यक सुधार की संभावना पर पूरी गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

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