भोपाल,18 जून(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी के विरुद्ध कथित दुराचार के मामले को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रदेश की राजनीति में वित्त मंत्री जैसा महत्तपूर्ण पोर्ट फोलियों रखने वाले व्यक्ति की छबि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंदियों ने दबाव डालकर ये प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस प्रकरण में साफ तौर पर दुर्भावना के तथ्य पाए गए हैं। हाईकोर्ट ने भोपाल के हबीबगंज पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर को खारिज करने के आदेश दिये है।
पूर्व वित्त मंत्री राधव जी की ओर से दायर की गयी याचिका में भोपाल के हबीबगंज थाने में उनके खिलाफ धारा 377, 506 तथा 34 के तहत 7 जुलाई 2013 को दर्ज की गयी एफआईआर खारिज किये जाने की राहत चाही गयी थी। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया था कि शिकायत कर्ता ने कहा है कि वह 2010 में नौकरी के लिए विदिशा से भोपाल आया था। तब उन्हीं की अनुशंसा पर उसे सोम डिस्टिलरी के एकाऊंट विभाग में नौकरी मिली थी। अभियुक्त शेर सिंह चौहान ने उसे वित्तमंत्री राघवजी के चार इमली स्थित बी 19 बंगले के कर्मचारी आवास में रहने का मौका दिया था।
शिकायतकर्ता ने अपने बयानों में कहा है कि उसने एक अन्य पीडि़त की मदद से वित्तमंत्री का छुपकर विडियों बनाया था। कथित तौर पर सहमति के साथ एकांत में अप्राकृतिक यौन करने का वीडियों उसने साजिश के तहत बनाया था जिसके आधार पर वह उन्हें ब्लैकमेल करना चाहता था । उसने यह भी स्वीकार किया कि उसने याचिकाकर्ता का सरकारी निवास मई 2013 में छोड़ दिया था। इसके लगभग तीन माह बाद उसने रिपोर्ट दर्ज करवाई। शिकायतकर्ता साल 2010 से 2013 तक याचिकाकर्ता के सरकारी निवास में रहता था, इस दौरान उसने किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं की। राजनीतिक प्रतिद्वंदियो के इशारे तथा आपसी रंजिश के कारण शिकायतकर्ता ने यह एफआईआर दर्ज कराई है।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त याचिका साल 2016 से लंबित है और न्यायालय का अभिमत है कि अपराधिक मामले में अभियुक्त को ट्रायल का सामना करना चाहिये। न्यायालय के आदेश है कि अपराधिक मामला दुर्भावना व निजी रंजिश के कारण दर्ज करवाया जाता है तो एफआईआर निरस्त की जा सकती है। इस प्रकरण में अपराधिक कार्रवाई से स्पष्ट है कि दुर्भावना के कारण प्राथमिकी दर्ज कराई गयी है। प्रदेश में सबसे लंबे समय तक वित्तमंत्री रहने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति की छबि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंदियों के इशारे पर शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसी के आधार पर न्यायालय ने एफआईआर निरस्त करने के आदेश दिये।
गौरतलब है कि राघवजी भाई के वित्त मंत्री रहते हुए तीन सालों तक भारत सरकार जीएसटी लागू नहीं कर पाई थी। उन्होंने इस मसले पर हर बैठक में जीएसटी की खामियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया था। बताते हैं कि इसके बाद जो अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं जीएसटी लागू करने के लिए भारत सरकार पर दबाव बना रहीं थीं उन्हीं के इशारे पर राघवजी को राह से हटाने के लिए ये मामला दर्ज कराया गया था। मध्यप्रदेश को वित्तीय दुर्दशा से बाहर लाकर ऊंचाईयों पर ले जाने वाले राघवजी को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के कार्यकाल में ये विभाग सौंपा गया था।इसके बाद से ही कर्ज में डूबे मध्यप्रदेश को दुनिया भर की वित्तीय संस्थाओं से मदद मिलनी शुरु हो गई। बाद में बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान ने भी उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उन्हें ही वित्तीय प्रबंधन की जवाबदारी सौंपी। बताते हैं कि ये मामला सामने आने के बाद जीएसटी लागू करने में आ रही बड़ी अड़चन समाप्त हो गई और तभी से राज्यों को वित्तीय संकटों से जूझना पड़ रहा है।
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