नगर निगम के कमर्शियल टैक्स के विरोध में होटल संचालकों ने महापौर को दिया ज्ञापन

नगर निगम महापौर को ज्ञापन देने पहुंचे होटल व्यावसायियों का मार्गदर्शन भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष विकास विरानी ने किया।


भोपाल,1 सितंबर। नगर पालिक निगम की ओर से लगाए गए व्यावसायिक कर के विरोध में आज महाराणा प्रताप नगर के होटल संचालकों ने महापौर मालती राय को ज्ञापन दिया। जिसमें उन्होंने इस नए टैक्स को अव्यावहारिक और शोषणकारी बताया है। इस टैक्स को लेकर व्यापारियों ने पहले भी आपत्ति दर्ज कराई थी लेकिन टैक्स भरने की अंतिम समय सीमा 31 अगस्त बीत जाने की वजह से मिलने वाली छूट की समयावधि भी बीत गई है। व्यापारियों ने यह टैक्स हटाकर टैक्स भरने की तिथि एक बार बढ़ाने की मांग भी की है।

नगर निगम की फिजूलखर्ची और स्मार्ट सिटी के कर्ज का बोझ व्यापारियों पर डालने से वे आंदोलित हैं.


महापौर श्रीमती मालती राय से मुलाकात करने पहुंचे एमपीनगर भोपाल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने व्यावसायिक लाईसेंस की प्रक्रिया बदलने को असंगत और बोझ बताया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष और होटल आर्च मैन्योर के प्रोप्राईटर एस.एन.माहेश्वरी ने बताया कि इस नए टैक्स से सारे व्यापारी परेशान हैं। कोरोना काल की मंदी की वजह से न तो कारोबार है और न ही व्यापारी अब तक घाटे से उबर पाए हैं। इसके बावजूद निगम ने एक नया टैक्स लाद दिया है। उन्होने महापौर को बताया कि ये टैक्स संपत्तिकर, पानी बिजली और कचरा कर के अलावा वसूला जा रहा है। इस टैक्स में सभी व्यावसायिक संपत्तियों के क्षेत्रफल के आधार पर टैक्स की गणना की गई है। ये अव्यावहारिक है और इतना ज्यादा है कि आम व्यापारी इसे चुकाने में सक्षम नहीं है। ऐसे में इस टैक्स को पूरी तरह हटाया जाए और जो लोग ये टैक्स जमा कर चुके हैं उस राशि को अगले साल के टैक्स में समायोजित किया जाए।
श्री माहेश्वरी ने बताया कि पहले नगर निगम होटल के कमरों के आधार पर आय की गणना करता था और उस पर कर लगाया जाता था। नई व्यवस्था में होटल के खुले क्षेत्र और बाथरूम, बरामदे आदि को भी टैक्स के दायरे में लिया गया है जबकि इन स्थानों से आय नहीं होती है। व्यापारियों ने इस टैक्स का विरोध तभी से करना शुरु कर दिया था जब नगर निगम के राजस्व अमले ने उन्हें मांग पत्र सौंपे थे। व्यापारियों की आपत्ति पर निगम ने कोई फैसला नहीं लिया और कर भरने की समय सीमा भी निकल गई।
व्यापारियों ने कहा कि ये टैक्स नगर निगम कमिश्नर श्री वीएस चौधरी कोलसानी ने तब मंजूर कराया था जब नगर निगम की चुनी हुई परिषद भंग की जा चुकी थी। इस फैसले में आम नागरिकों के बीच रायशुमारी नहीं की गई थी। हैदराबाद की तर्ज पर लागू की गई इस व्यवस्था को तब लागू किया गया है जब भीषण मंदी का दौर चल रहा है। ऐसे में चुनी हुई परिषद को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
ज्ञापन देने वालों में भोपाल
हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष एमपी नगर कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय तिवारी एवं कई पदाधिकारी शामिल थे।
महापौर श्रीमती मालती राज ने संघ के पदाधिकारियों को आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों को दो-तीन दिन के अंदर कुछ ना कुछ निराकरण अवश्य करेंगे।
संघ के कुछ पदाधिकारियों का कहना है कि अगर निर्णय उनके पक्ष में नहीं जाता तो वह उच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए तैयारी कर रहे हैं

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