बैंकों ने दस लाख करोड़ का कर्ज बैलेंस शीट से हटाया


नईदिल्ली,05 अगस्त,(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। देश के कई व्यापारिक बैंको ने पिछले 5 वित्त वर्ष के अंदर लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते (Loan Write Off) में डाल दिया है. वित्त राज्यमंत्री भागवत के कराड (Minister of State for Finance Bhagwat Karad) ने राज्यसभा (RajyaSabha) में लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी है.
वित्त राज्यमंत्री कराड ने बताया कि Financial Year 2021-22 में बैंको ने बट्टेखाते में डाली जाने वाली राशि पिछले वित्तवर्ष के 2,02,781 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 1,57,096 करोड़ रुपये रह गई. वर्ष 2019-20 में, यह राशि 2,34,170 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2018-19 में 2,36,265 करोड़ रुपये के 5 साल के रिकॉर्ड स्तर से कम थी. मंत्री कराड ने कहा कि वर्ष 2017-18 के दौरान, बैंकों ने बट्टे खाते में 1,61,328 करोड़ रुपये डाली थी. कुल मिलाकर पिछले 5 वित्त वर्ष (2017-18 से 2021-22) में 9,91,640 करोड़ रुपये का बैंक ऋण बट्टे खाते में डाला गया है.
मंत्री कराड का कहना है कि, Scheduled Commercial बैंक (SCB) और सभी भारतीय वित्तीय संस्थान रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India Financial Institutions) को बड़े लोन पर Central Repository of Information on Large Credits (CRILC) के तहत 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के कुल लोन लेने वाले सभी उधारकर्ताओं के बारे में जानकारी जुटाई जाती हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के अनुसार, पिछले 4 साल में लोन चुकाने में जानबूझकर चूक करने वालों की कुल संख्या 10,306 थी. सबसे अधिक संख्या वर्ष 2020-21 में 2,840 रही थी. अगले वर्ष यह संख्या 2,700 रही थी. मार्च 2019 के अंत में ऐसे चूककर्ताओं की संख्या 2,207 थी जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 2,469 हो गई.
मार्च 2022 तक शीर्ष 25 चूककर्ताओं का विवरण साझा करते हुए कराड ने कहा कि गीतांजलि जेम्स लिमिटेड (Geetanjali Gems Limited) इस सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग (Era Infra Engineering), कॉनकास्ट स्टील एंड पावर (Concast Steel & Power), आरईआई एग्रो लिमिटेड (REI Agro Limited) और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (ABG Shipyard Limited) का स्थान है. फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) की कंपनी गीतांजलि जेम्स पर बैंकों का 7,110 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग पर 5,879 करोड़ रुपये और कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लिमिटेड पर 4,107 करोड़ रुपये बकाया है.
आरईआई एग्रो लिमिटेड (REI Agro Limited) और एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard) ने बैंकों से क्रमश: 3,984 करोड़ रुपये और 3,708 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है. इसके अलावा फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड (Frost International Limited) पर 3,108 करोड़ रुपये, विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी (Winsome Diamonds And Jewelery) पर 2,671 करोड़ रुपये, रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (Rotomac Global Private Limited) पर 2,481 करोड़ रुपये, कोस्टल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (Coastal Projects Limited) पर 2,311 करोड़ रुपये और कुडोस केमी (Kudos Cami) पर 2,082 करोड़ रुपये बकाया हैं.
बैंक जब अपने ग्राहकों से कर्ज की वसूली नहीं कर पाते तो वह राशि Non Performing Assets (NPA) में चली जाती है. जिन बैंकों का NPA काफी बढ़ जाता है तो वे एनपीए की राशि को बट्टे खाते में डाल देते हैं यानी अर्थात राइट ऑफ (Right Fff) कर देते हैं. इसके बाद बैंक 4 साल पुराने फंसे कर्ज को बैलेंस सीट से हटा देती हैं. जिससे उसकी बैलेंस शीट अच्छी बनी रहे. इसे ही राइट ऑफ या बट्टे खाते में डालना कहा जाता है. बट्टे खाते में डाले जाने के बाद भी कर्ज की वसूली जारी रहती है.

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