नई दिल्ली,6 मार्च(प्रेस सूचना केन्द्र)रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने यस बैंक से रुपए की निकासी पर पचास हजार रुपए की सीमा तय कर दी है।इससे ज्यादा रकम केवल उधारी पर दी जाएगी। इससे बाजार में अफरातफरी की स्थिति बन गई है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस व्यवस्था को लेकर खाताधारकों को भरोसा दिलाया है कि उनका पैसा डूबने नहीं दिया जाएगा। बैंक के खाताधारकों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। किसी भी खाताधारक को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। रिजर्व बैंक के अधिकारी समस्या का समाधान निकालने में जुटे हुए हैं। ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इस हालात के लिए दोषी कौन है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से हम इन हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. RBI ने कई कदम उठाए हैं, एटीएम से कैश निकालने की लिमिट तय किए जाने पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं आपको बता दूं कि स्वास्थ्य, विवाह और अन्य आपातकालीन मुद्दों के लिए अतिरिक्त राशि की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कदम उठाए गए हैं।
इस बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हमने 30 दिनों के लिए यह लिमिट लगाई है. जल्द ही आरबीआई यस बैंक को संकट से निकालने के लिए तेजी से कार्रवाई करेगा। आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘आपको बैंक को समय देना होगा, प्रबंधन द्वारा उठाए जाने वाले जरूरी कदम को उठाने की कोशिश करनी होगी और उन्होंने कोशिश की. जब हमने पाया कि यह कोशिश काम नहीं कर रहा तो आरबीआई ने हस्तक्षेप किया.’
भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक के निदेशक मंडल को भंग करते हुए उस पर प्रशासक नियुक्त कर दिया है. इसके साथ ही बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं. केंद्रीय बैंक ने अगले आदेश तक बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय की है. फिलहाल यह रोक 5 मार्च से 3 अप्रैल तक लगी रहेगी. बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गई है. आरबीआई ने देर शाम जारी बयान में कहा कि यस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है.
इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था. करीब 15 साल पहले शुरू हुआ यस बैंक काफी समय से डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है. इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को यस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी.
इसका अंदाजा इसस भी लगाया जा सकता है कि पिछले 15 महीनों में निवेशकों को 90 फीसदी तक का घाटा लग चुका है. सितंबर 2018 में इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 90 हजार करोड़ रुपये था, जो घटकर 9000 करोड़ रुपये बच गया है.
यस बैंक से निकासी पर लिमिट के ऐलान के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों के शेयरों में जोरदार उछाल दर्ज हुआ. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की मंजूरी दे दी है. यह विलय एक अप्रैल से प्रभावी होगा. इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयर 16 प्रतिशत तक की छलांग लगा गए. वहीं, दूसरी ओर सरकार द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले बैंकों के समूह को यस बैंक के अधिग्रहण की मंजूरी की खबरों के बीच निजी क्षेत्र के बैंक का शेयर 27 प्रतिशत तक चढ़ गया.
Leave a Reply