आबादी बढ़ी नहीं माफिया को खुश करने ले आए नया मास्टर प्लान

भोपाल,05 मार्च,(प्रेस सूचना केन्द्र)।भोपाल का विजन डाक्यूमेंट बताकर जारी किया गया नया मास्टर प्लान भू माफिया और ठेकेदारों की लाबी में उत्साह की वजह बन गया है। बजट से पहले कमलनाथ सरकार इसे अपना नवाचार बताकर इसे हर जिले और निकायों तक जारी करने की तैयारी कर रही है। जबकि दिग्विजय सिंह इसे लोकसभा चुनावों के दौरान जनता से किया गया अपना वादा पूरा करना बताकर वाहवाही लूटने का प्रयास कर रहे हैं। इस उछलकूद के बीच हकीकत ये है कि 1995 में जिस मास्टर प्लान को वर्ष 2005 के लिए घोषित किया गया था उसे शहर की आबादी 20 लाख होने तक के लिए पर्याप्त बताया गया था जबकि अभी 2020 तक भी शहर की आबादी 18 लाख नहीं हो पाई है इसके बावजूद नया मास्टर प्लान जारी कर दिया गया है।

नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने आज भोपाल के मिंटो हाल में जो 2031 तक का प्रारूप जारी किया है उसमें अभी ये तय नहीं हो पाया है कि आधारभूत ढांचे के विकास के लिए आवश्यक धनराशि कहां से आएगी और उसे समयबद्ध रूप से कब तक पूरा किया जा सकेगा। सरकार जमीन के जिस मिश्रित भूमि उपयोग का ढिंढोरा पीट रही है वो दरअसल अराजकता और माफिया की मिलीभगत का ज्वलंत उदाहरण है। नगर तथा ग्राम निवेश संचालनालय के नगर निवेशकों का कहना है कि बीस मीटर चौड़ी सड़कों के रहवासी उपयोग की जमीनों को इस नए प्लान के अनुसार कमर्शियल किया जा सकेगा। जबकि जिन लोगों ने रहवासी इलाके में जमीनें खरीदकर मकान बनाए थे इस नियम से उनकी शांति छिन जाएगी और उनके घरों के आसपास व्यावसायिक आपाधापी शुरु हो जाएगी। नगर निवेश के नियमों के मुताबिक हर विकास प्लान में रहवासी इलाके के नजदीक व्यावसायिक उपयोग के लिए जमीन आरक्षित की जाती है। उसका रहवासी इलाके पर कोई प्रभाव भी नहीं पड़ता है, जबकि इस मास्टर प्लान में भू माफिया की गैरकानूनी गतिविधियों को संरक्षण देने के लिए बेजा छूट दी जा रही है।

मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 की धारा 9-10-11 के अनुसार जो लोग अनुमति लिए बगैर निर्माण कर रहे हैं या निर्माण कर चुके हैं वे सभी अवैध गतिविधियों के भागीदार होंगे। जिन्होंने भवन अनुज्ञा का पालन नहीं किया है उनके निर्माण अवैध हैं और शासन के राजस्व को क्षति पहुंचाने की मंशा के कारण ढहाए जाने योग्य हैं। इसके बावजूद नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के अफसरों की मिलीभगत से उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई है।

नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में साफ निर्देशित किया गया है कि जो व्यक्ति भूमि उपयोग के विरुद्ध निर्माण कार्य करेगा उसे सक्षम अधिकारी के निर्देश पर अर्थदंड से दंडित किया जाएगा। इस अपराध के लिए आरोपी को जेल भेजने तक का प्रावधान है। यही वजह है कि नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के अफसर अतिक्रमणकारियों से सांठ गांठ करके आंखें मूंद लेते हैं। कर्तव्यहीनता करने वाले ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई किए बगैर नया मास्टर प्लान पूरी तरह औचित्य हीन है। अवैध निर्माण के ये कार्य बाकायदा अखबारों में इश्तेहार प्रकाशित करवाकर किए जा रहे हैं। ऐसे निर्माण खरीदे और बेचे जा रहे हैं इसके बावजूद सरकार नए मास्टर प्लान की कहानियां सुनाकर खुद को कर्तव्यनिष्ट बताने का प्रयास कर रही है।

शासकीय भूमि के रखरखाव की जवाबदारी जिला प्रशासन के अधिकारियों की भी है। कई मामलों में नगर तथा ग्राम निवेश विभाग की ओर से जिला प्रशासन को अनुरोध भी किया लेकिन प्रशासनिक अधिकारी उस पर मौन साधकर बैठ जाते हैं। जब प्रशासनिक अमला शासकीय भूमियों के रखरखाव में असफल साबित हो रहा है तो फिर ऐसे मास्टर प्लानों का औचित्य क्या रह जाता है। जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही के लिए उनके विरुद्ध भ्रष्ट आचरण अधिनियम और भू राजस्व संहिता के नियमों के तहत कार्रवाई न करके सरकार और शासन की ओर से गंभीर अनियमितताएं की जा रहीं हैं। इससे जहां शासन को भू राजस्व की क्षति हो रही है वहीं कई अवैध कालोनियां नागरिकों के लिए कई समस्याओं की वजह भी बनती जा रहीं हैं। इसके बावजूद सरकार मास्टर प्लान को जादुई चिराग साबित करने का प्रयास कर रही है।

विद्वान राजा भोज ने लगभग 1000 साल पहले जिस भोजताल का निर्माण करवाकर पेयजल का बड़ा स्रोत विकसित किया था मौजूदा सरकारें उनके जल ग्रहण इलाकों में अतिक्रमणों पर भी रोक नहीं लगा पा रहीं हैं। ऐसे ही कई अतिक्रमणकारी सरकार के सहयोगी बने हुए हैं। जिस गति से जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण को मंजूरियां मिलती रहीं हैं उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अगले कुछ सालों में तालाब की मौत हो जाएगी। यही नहीं जल ग्रहण क्षेत्र में बनने वाले निर्माणों की वजह से नागरिकों को कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ेगा जो मास्टर प्लान की मूल भावना के विपरीत हैं। जिस तरह जलग्रहण इलाकों में रासायनिक और कीटनाशकों के सहारे खेती की जा रही है उससे पेयजल में कई विषैले तत्व मिलने लगे हैं जिनके निवारण के लिए मास्टर प्लान में कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि नया मास्टर प्लान आपाधापी में जारी किया है और इससे भू माफिया को अमीर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

नगरीय प्रशासन मंत्री के अनुसार देश का पहला जीआईएस आधारित मास्टर प्लान राजधानी भोपाल में आकार लेगा। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह और जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने मिन्टो हॉल में भोपाल मास्टर प्लान-2031 के प्रारूप का लोकार्पण किया। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व में राज्य शासन ने मात्र 14 माह में भोपाल विकास योजना का प्रारूप जन-सामान्य के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1995 में लागू विकास योजना की अवधि वर्ष 2005 तक थी। वर्ष 2005 से अब तक भोपाल में चली विकास गतिविधियाँ किसी योजना के अनुरूप नहीं हो पाईं। उन्होंने कहा कि भोपाल विकास योजना-2031 के प्रारूप में 1017 वर्ग किलोमीटर योजना क्षेत्र तथा 35 लाख जनसंख्या के मान से प्रावधान किया गया है। प्रारूप में आउटर और इनर रिंग रोड के प्रावधान के साथ अन्य सड़कों के विकास के लिये बेटरमेंट चार्जेस की व्यवस्था की गई है। प्रारूप mptownplan.gov.in पर उपलब्ध है। इस पर नागरिकों से सुझाव आमंत्रित किये गये हैं। सुझाव ऑनलाइन दिये जा सकते हैं।

इस प्रारूप में राजधानी की प्राकृतिक सुंदरता और जल-संरचनाओं को सुरक्षित और संवर्धित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। योजना क्षेत्र के हरित और वन क्षेत्र में वृद्धि राज्य शासन की प्राथमिकता और प्रतिबद्धता है। नगरीय विकास मंत्री ने कहा कि भोपाल की सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। इस क्रम में बड़ा तालाब क्षेत्र के विकास के लिये लेक डेव्हलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया जायेगा। शासन की मंशा बड़ा तालाब के लेक फ्रंट को जिनेवा या मुम्बई के मरीन ड्राइव के समान विकसित करने की है। उन्होंने स्मार्ट सिटी क्षेत्र में 23.5 हेक्टेयर क्षेत्र में पार्क तथा वन संरचनाएँ विकसित करने के प्रावधान की जानकारी देते हुए बताया कि स्मार्ट सिटी क्षेत्र में लगभग 50 हजार पौधे लगाये जायेंगे।

श्री सिंह ने कहा कि विकास योजना में युवा पीढ़ी को बेहतर व्यवस्थाएँ देने के लिये एजुकेशनल- यूथ हब बनाने का प्रावधान किया गया है। योजना में स्लम-फ्री भोपाल की अवधारणा पर कार्य किया जायेगा। स्लम के स्थान पर हाईराइज बिल्डिंग बनाई जायेंगी, जिनमें स्लम में रहने वाले लोगों को शिफ्ट किया जायेगा।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने कहा कि प्रारूप पर जन-सामान्य के सुझाव आमंत्रित किये गये हैं। प्रारूप की विस्तृत जानकारी भोपाल संभागायुक्त कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, नगर निगम तथा कार्यालय संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश में प्रदर्शित की जायेगी।

जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने यातायात के दबाव को कम करने के लिये मुम्बई की सी-लिंक के समान भोपाल में बड़े तालाब पर श्यामला हिल्स क्षेत्र से टी-लिंक विकसित करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने सदर मंजिल को संरक्षित कर मिन्टो हॉल के समान विकसित करने का सुझाव दिया। विधायक श्री आरिफ मसूद ने भी सम्बोधित किया।

प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास श्री संजय दुबे ने विकास योजना की मुख्य विशेषताओं जैसे नगर की बाहरी परिधि की ओर विकास द्वारा जनसंख्या को उस क्षेत्र में बसने के लिये प्रोत्साहित करने, वाहन क्षमता के अनुसार विकास योजना, पार्किंग प्रावधानों में सुधार, ऐतिहासिक तथा पर्यावरण धरोहरों के संरक्षण और प्रीमियम तल क्षेत्र अनुपात द्वारा राजस्व वृद्धि और टीडीआर के माध्यम से राजस्व की बचत संबंधी प्रावधानों पर प्रकाश डाला। संचालक नगर तथा ग्राम निवेश श्री स्वतंत्र सिंह ने मास्टर प्लान की विस्तार से जानकारी दी।

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