भोपाल,28 फरवरी(प्रेस सूचना केन्द्र)। कोरोना वायरस(Corona Virus) ने चीन में जिस तरह का कोहराम मचा रखा है उससे पूरी दुनिया दहशत में आ गई है। विश्व के कई देशों में कोरोना वायरस से निपटने की तैयारियां चल रहीं हैं। वे देश खासे दहशत में हैं जहां मांसाहार को बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है। यही वजह है कि कई देशों में शाकाहार अपनाने की मुहिम चल पड़ी है। इस बीच भारत में कोरोना वायरस का इलाज आयुर्वेदिक तरीकों से करने के दावे किए जाने लगे हैं। कमोबेश यही दावे एड्स जैसी बीमारी को नियंत्रित करने के भी किए जाते रहे हैं।
दरअसल में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति जीवन दर्शन की वो शैली है जो इंसान को रोगों की गिरफ्त में ही नहीं आने देती। यदि भूल वश स्वस्थ इंसान का शरीर बीमार भी हो जाए तो आयुर्वेद में वात पित्त और कफ को संतुलित करके स्वस्थ बनाने की विधि मौजूद है। नाड़ी विज्ञान से शरीर की दशा को समझा जाता है फिर आयुर्वेदिक दवाओं से नाड़ी को संतुलित किया जाता है। इसी विधि से जटिल से जटिल रोगों का उपचार हो जाता है। यह उपचार पूरे प्राकृतिक तरीकों से किया जाता है।
कोरोना वायरस के प्रकोप को लेकर मध्यप्रदेश के वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य कहते हैं कि आयुर्वेदिक दवाओं के संतुलित इस्तेमाल से कोरोना वायरस से मुक्ति पाई जा सकती है। जो फार्मूला सुझाया गया है उसके मुताबिक हरिद्राखंड, संशमणि बटी, और त्रिकटु चूर्ण के युक्तियुक्त प्रयोग से कोरोना वायरस आसानी से परास्त हो सकता है। तुलसी और गिलोय का काढ़ा जिसमें सात काली मिर्च डालकर उबाला गया हो वह कोरोना वायरस के संक्रमण को समाप्त कर सकता है। भारत में फेंफड़ों के रोगों और सर्दी जुकाम में इन दवाओं का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है। ये दवाएं सभी प्रमुख आयुर्वेदिक दवा फार्मेसियां बनाती हैं।
हरसिंगार के पांच पत्तों की चाय बनाकर पीने से भी गंभीर संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है।
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