मीसाबंदी की विधवा को पेंशन दें बोला छग हाईकोर्ट

बिलासपुर.13 जनवरी,(प्रेस सूचना केन्द्र)। छत्तीसगढ़ (Chhattisagrh) की बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High court) ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद मीसाबंदी (Misabandi) की विधवा को आधी पेंशन (Pension) देने का आदेश दिया है. कांग्रेस सरकार के फैसले को सुधारने का आदेश देने वाला ये अदालत का पहला फैसला है।पेंशन के नियमों के मुताबिक बिलासपुर के इस मीसाबंदी की विधवा को पति की मृत्यु के बाद आधी पेंशन दी जाती थी। जिसे राज्य शासन ने कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद जनवरी 2019 से बंद कर दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ हो गया है कि सरकार का फैसला गलत था और अब मीसाबंदियों की विधवाओं की पेंशन जारी रहेगी।

कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद तमाम मीसाबंदियों की पैंशन सत्यापन के नाम पर रोक दी थी। पिछली भाजपा सरकार ने बाकायदा शासकीय अधिसूचना के माध्यम से ये पेंशन जारी की थी। नई सरकार के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जिसके आधार पर हाईकोर्ट ने बिलासपुर के 28 और दुर्ग के 32 मीसाबंदियों को पेंशन देने का आदेश दिया था। इसके बावजूद मीसाबंदियों की विधवाओं की पेंशन जारी नहीं की गई थी। पेंशन बंद किए जाने के खिलाफ बिलासपुर के मीसाबंदी की विधवा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस पी सेम कोशी की सिंगल बेंच ने मीसाबंदी की विधवा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके रोकी गई पेंशन की राशि और सारे एरियर्स को तत्काल जारी करने का आदेश दिया है। मीसाबंदी की विधवा की ओर से दायर यह राज्य का पहला मामला है। ऐसा माना जा रहा है कि अब बाकी विधवा पेंशन पाने वालों के लिए भी रास्ता साफ हो गया है.

मध्यप्रदेश में भी अभी तक मीसाबंदियों की मौजूदगी और सच्चाई का सत्यापन होने के बावजूद कई पेंशन धारकों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। पिछले 9 महीनों से पेंशन नहीं मिलने से परेशान मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट की शरण भी ली है।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तमाम याचिकाओं पर एक स्वर में सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। अभी 4 दिनों पहले बिलासपुर के ही 28 मीसाबंदियों को हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद बड़ी राहत देते हुए उनकी तमाम पेंशन और भत्तों की राशि तत्काल जारी करने का आदेश दिया था. दो दिन पूर्व दुर्ग के 38 मीसाबंदियों को भी हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली थी और अब विधवा पेंशन के प्रकरण में भी हाईकोर्ट ने वही फैसला दिया है।

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