बंदर हीरा खदान को मंजूरी बिना बेचने की तैयारी

बंदर हीरा खदान लेने के लिये 5 कम्पनियों ने प्रस्तुत किया दावा
तकनीकी बिड का मूल्यांकन 27 नवम्बर को पूर्ण किया जायेगा : मंत्री जायसवाल

भोपाल,14 नवंबर(प्रेस सूचना केन्द्र)। खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बताया है कि छतरपुर जिले की वर्षों से अनुपयोगी बंदर हीरा खदान लेने के लिये 5 बड़ी कम्पनियों ने 13 नवम्बर को खुली प्रथम चरण की तकनीकी निविदाओं में बिड जमा कर अपना दावा प्रस्तुत किया है। ये कम्पनियाँ हैं भारत सरकार का उपक्रम नेशनल मिनरल डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएमडीसी), एस्सेल माइनिंग (बिरला ग्रुप), रूंगटा माइन्स लिमिटेड, चेंदीपदा कालरी (अडानी ग्रुप) तथा वेदांता कम्पनी।

मंत्री श्री जायसवाल ने बताया कि 55 हजार करोड़ रुपये की यह खदान रियो टिंटो कम्पनी ने छोड़ी थी। देश की इस सबसे बड़ी खदान के नीलामी प्रकरण में भारत सरकार के नियमानुसार लगभग 56 करोड़ रुपये की सुरक्षा निधि जमा कराई जानी थी। इसके लिये आवेदक कम्पनी की नेटवर्थ कम से कम 1100 करोड़ रुपये होना आवश्यक था।

खनिज साधन मंत्री ने बताया कि 13 नवम्बर की निविदा कार्यवाही के बाद अब तकनीकी बिड के मूल्यांकन का कार्य 27 नवम्बर, 2019 को पूर्ण किया जायेगा। इसके बाद 28 नवम्बर को प्रारंभिक बोली खोली जाएगी और उसके अगले दिन ऑनलाइन नीलामी सम्पादित की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि छतरपुर जिले में लगभग 3.50 करोड़ कैरेट के हीरे के भण्डार का अनुमानित मूल्य 55 हजार करोड़ रुपये है। इस पर राज्य शासन को प्राप्त होने वाली रॉयल्टी की दरों के आधार पर नीलामी सम्पन्न की जाएगी।

बक्सवाहा में हीरे की मौजूदगी का पता लगने के बाद आस्ट्रेलिया की रियो टिन्टो कंपनी ने बंदर प्रोजेक्ट को लीज पर लेकर यहां भारी मात्रा में हीरा पाए जाने का सर्वे किया था। इसके बाद उसने करोड़ों रूपए के हीरे सर्वेक्षण के नाम पर निकाले थे।

जब कंपनी से सरकार का अनुबंध खत्म हो गया और आगे के कार्य की अनुमति नहीं मिली तो कंपनी अपना सामान समेटकर चली गई। अब इसी प्रोजेक्ट को फिर से नीलाम किया जा रहा है।

अब देश की जानी-मानी कंपनियों ने हीरा खनन में अपनी रूचि दिखाई है। कंपनी के प्रतिनिधियों ने बंदर प्रोजेक्ट की भौगोलिक स्थिति समझने हेतु जंगल का दौरा किया और प्रोजेक्ट के बारे में जांच-पड़ताल की। जानकारी के मुताबिक बंदर डायमंड माइंस प्रोजेक्ट की नीलामी में अनेक कंपनियों ने रुचि दिखाई है।

आदित्य बिरला ग्रुप, अडानी ग्रुप, वेदांता ग्रुप, रूंगटा ग्रुप, एसेल ग्रुप, क्यूरा ग्रुप जैसी कंपनियों ने बकस्वाहा पहुँच कर बंदर प्रोजेक्ट की जानकारी ली साथ ही भौगोलिक स्थिति जानकर परिस्थितियों से रूबरू होकर प्रोजेक्ट के संबंध में चर्चाएं की गई जिसमें मुख्य रुप से भूमि सम्बन्धी और जंगल से सम्बंधित चर्चाएं हुई ।

कलेक्टर मोहित बुंदस ने बताया कि डायमंड प्रोजेक्ट के लिए निरीक्षण करने टीमें आई हैं। इस प्रोजेक्ट में रूचि रखने वाली कंपनियों की टीमों ने निरीक्षण करने के बाद विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की।

यहां का प्रोजेक्ट शुरू होने से लोगों को रोजगार मिलेगा और बक्स्वाहा का नाम पूरे विश्व में हीरा खदान के रूप में जाना जाएगा।

इस प्रोजेक्ट का रकबा 356 हेक्टेयर है जिसमें से करीब 13 हेक्टेयर जंगल ऐसा है जो पन्ना टाईगर रिजर्व से लगा हुआ है साथ ही इमली घाट जहां ये खदान लगाई जानी है वहां जाकर भी कंपनियों ने मुआयना किया और वहां की स्थिति जानी।

बकस्वाहा ब्लॉक के हीरा खदान देखने पहुँची कंपनियों के साथ नरेंद्र सिंह परमार सचिव मध्यप्रदेश शासन, मोहित बुंदस कलेक्टर छतरपुर, अनुपम सहाय डीएफओ, तिलक सिंह एसपी, मनोज मालवीय एसडीएम बिजावर के साथ जिले का अमला मौजूद रहा।

प्रदेश शासन के सचिव नरेन्द्र सिंह परमार ने बताया कि बंदर हीरा खनन प्रोजेक्ट बक्स्वाहा की नीलामी प्रक्रिया की शुरूआत 5 अगस्त से शुरू की गई। प्रोजेक्ट की बोली 60 हजार करोड़ से शुरू होगी।

परमार ने बताया कि विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधियों से प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा हुई है। पन्ना में रखे बक्स्वाहा के डायमंड को देखने के बाद प्रतिनिधियों ने भौगोलिक स्थिति जानने की इच्छा जताई थी। उन्हें यहां लाया गया है ताकि वे वस्तु स्थिति से भी अवगत हो सकें।

यहां आने वालों में 6 कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। उधर डीएफओ अनुपम सहाय का कहना है कि पूरा प्रोजेक्ट वन क्षेत्र का है इसलिए एनओसी जारी होगी लेकिन यह भी देखना होगा कि इस जंगल को कहां स्थानांतरित किया जाए ताकि अच्छे किस्म का जंगल तैयार हो सके।

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