भोपाल,25अगस्त(प्रेस सूचना केन्द्र)। पूर्व मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा की ललकार को अब हाईकोर्ट का भी संबल मिल गया है। बहुचर्चित ई टेंडर घोटाला अदालत की देहरी पर हवा हवाई साबित होने लगा है।साक्ष्यों के परीक्षण के बाद हाईकोर्ट ने प्रमुख आरोपी नंदकुमार ब्रह्मे की जमानत मंजूर कर ली है। इसके बाद अन्य आरोपियों के भी बच निकलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सत्तासीन कांग्रेस की ओर से प्रमुख विपक्षी दल को घेरने के लिए आरोप लगाए जा रहे थे अब उसके अरमानों पर पानी फिरता नजर आने लगा है।
जस्टिस राजीव कुमार दुबे की सिंगल बेंच ने ब्रह्मे की जमानत याचिका मंजूर कर ली है। नंद किशोर ब्रह्मे मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन भोपाल में ओएसडी के पद पर तैनात थे। उन्हें 2012 में ई टेंडर प्रक्रिया का नोडल अधिकारी बनाया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने ई टेंडर प्रक्रिया में घालमेल करके कई ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया। वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे और अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने इस मामले की पैरवी की। उन्होंने अदालत को बताया कि टेंडर जारी करने की प्रक्रिया से ब्रह्मे का कोई संबंध नहीं था।
मध्य प्रदेश पुलिस आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने बीजेपी शासन के दौरान हुए कथित ई-टेंडर घोटाले की जांच के सिलसिले में पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा के दो पूर्व निजी सचिवों को भी गिरफ्तार किया था. ईओडब्ल्यू की टीम ने इन दो कर्मचारियों के ठिकानों की तलाशी भी ली थी,जिसके आधार पर कांग्रेस खेमे से पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर ई टेंडर घोटाला करने के आरोप लगाए जाने लगे थे।इसके जवाब में पूर्व मंत्री मिश्रा ने कमलनाथ सरकार को सबूतों के साथ सामने आने की चुनौती देते हुए कहा कि मामले में केवल छोटी मछलियों को निशाना बनाया जा रहा है.
ईओडब्ल्यू के महानिदेशक के एन तिवारी कहते रहे हैं कि दो सरकारी अधिकारियों वीरेंद्र पांडे और नीलेश अवस्थी (पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्र के दोनों पूर्व सचिव) को ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में अनियमितता के मामले में गिरफ्तार करके हमने बड़ी कड़ी जोड़ ली है। पांडे नरोत्तम मिश्रा के सहायक रहे हैं जबकि नीलेश अवस्थी लॉ विभाग का चपरासी है और मिश्रा के बंगले पर फोन सुनने की ड्यूटी पर तैनात था।
ईओडब्ल्यू की कार्रवाई पर पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई करार दिया. उन्होंने कहा, ”जब ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में छेड़छाड़ की बात सामने आई, तो हमने जांच का आदेश दिया था. इसके विपरीत वर्तमान सरकार ने उन एजेंसियों को ठेके दिये हैं जिनके खिलाफ पिछली सरकार ने इस अनियमितताओं में जांच का आदेश दिया था.” मिश्रा ने कहा, ”मैं कमलनाथ को चुनौती देता हूं कि वे तथ्यों और प्रमाणों के साथ आगे आएं. जिसमें हमें छेड़छाड़ की शिकायतें मिलीं थीं वे सभी टेंडर हमने रद्द कर दिये थे. न तो काम पूरा हुआ, न ही उन्हें कोई भुगतान किया गया.”
नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि ई टेंडर को मंजूरी देने वाली समितियों में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं. यह जानने के बावजूद सरकार ने छोटी मछलियों को पकड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार इस मामले में फिजूल मेहनत कर रही है, थोड़े समय बाद वह जान जाएगी कि भाजपा सरकार ने कितनी ईमानदारी से जनहित के कार्य किए थे। मालूम हो कि इस साल 10 अप्रैल को ईओडब्ल्यू ने 3,000 करोड़ रुपये के ई-टेंडर घोटाले में सात कंपनियों, सरकारी विभागों और अन्य (अज्ञात) राजनेताओं सहित अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे.
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