विदेशी तकनीक के आयात से भारत को कर्ज के दलदल में धकेलने वाले राजीव गांधी की सोच को मुख्यमंत्री कमलनाथ अब मध्यप्रदेश में लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। इसे वे अपने बहु प्रचारित छिंदवाड़ा मॉडल का प्रेरणा स्रोत बता रहे हैं। राजीव गांधी के 75 वें जन्मदिवस को उन्होंने राजीव गांधी को 21 वीं सदी के आधुनिक भारत का निर्माता बताया। जबकि हकीकत ये है कि कंप्यूटर तकनीक के आयात की देश को जो मंहगी कीमत चुकानी पड़ी है वह भारत के विकास के मार्ग में रोड़ा साबित हुई है। आज चीन जहां तकनीक के विकास से 13 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुका है वहीं भारत आज भी 5ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की जद्दोजहद से जूझ रहा है।
कांग्रेस के जिस विकास मॉडल को देश ने खारिज करके मोदी सरकार को सत्ता सौंपी है उसने भारतीय मुद्रा को रीसेट करके देश में पनप चुकी समानांतर अर्थव्यवस्था को समाप्त करने का एतिहासिक फैसला लिया था। नोटबंदी से देश का काला धन तो उजागर हुआ ही साथ में बैंकों के सरकारीकरण का लाभ लेकर कालाधन बनाने वालों की पोल भी देश के सामने खुल चुकी है। जिन राजीव गांधी को देश में कंप्यूटर क्रांति का जनक बताया जाता है उसे उन्होंने माईक्रोसाफ्ट का कथित एजेंट बनकर देश में लागू करवाया था। विश्वसनीय सरकारी सूत्र बताते हैं कि पूरे देश की ओर से भारत सरकार ने माईक्रोसाफ्ट से अनुबंध किया था। उसी अनुबंध की तर्ज पर आज तक भारत सरकार और राज्यों की सरकारें माईक्रोसाफ्ट से ही आपरेटिंग सिस्टम खरीदती हैं। भारत ये युवा यदि आपरेटिंग सिस्टम बना भी लें तो उस अनुबंध की वजह से सरकारें वो साफ्टवेयर नहीं खरीद सकती हैं।भारत का कोई आंत्रप्न्योर यदि मुफ्त में भी वो साफ्टवेयर सरकारों को देना चाहे तो उसे नहीं खरीदा जा सकता।
देश में राजीव गांधी के मित्र सैम पित्रोदा ने जिस सी डॉट एक्सचेंज की खरीदी पूरे देश में करवाई थी वो तकनीक पूरी दुनिया में बंद हो चुकी थी। इसके बाद देश में पेजर आए और वे भी मोबाईल की वजह से विदा हो गए। इस तरह मंहगी तकनीकें खरीदे जाने से देश को अरबों रुपयों की हानि पहुंची और कमीशन के रूप में मिला अरबों रुपयों का धन कथित तौर पर विदेशी बैंकों में रिश्वत के रूप में पहुंचाया गया। जबकि सैम पित्रोदा ने अहसान जताते हुए एक रुपये का वेतन लेकर देशभक्त होने का नाटक खेला था।
भोपाल गैस त्रासदी के आरोपी वारेन एंडरसन को विदेश भगाने के लिए जिम्मेदार राजीव गांधी की पोल पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर विधानसभा में उजागर कर चुके हैं। उनका कहना था कि स्वर्गीय अर्जुनसिंह को फोन करके राजीव गांधी ने एंडरसन को छोड़ने का हुक्म दिया था। जिसे तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और एसपी स्वराज पुरी ने सकुशल वापस पहुंचाया था। स्वराज पुरी तो स्वयं कार चलाकर एंडरसन को विमान तल तक छोड़ने गए थे। यूनियन कार्बाइड ने सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से जो हर्जाना दिलवाया उसकी बंदरबांट की कहानी भोपाल के गली कूंचों में आज भी सुनी सुनाई जाती है। गैस राहत विभाग के मंत्री आरिफ अकील और पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर इस एपीसोड की कहानियां समय समय पर सुनाते रहते हैं।
कांग्रेस में राजीव गांधी की विचारधारा देश को आत्मनिर्भर बनाने के बजाए कर्ज लेकर बांटने वाली सोच के रूप में ही जानी जाती है। युवाओं को वैश्विक उद्योगों के लिए बेचने की इस विचारधारा में प्रशिक्षण तो सरकारी संसाधनों से दिया गया लेकिन वे युवा नौकरी के लिए भारत छोड़कर विदेश चले गए। वहीं बस गए और सरकारें लाभ के नाम पर विदेशी मुद्रा का फायदा गिनाती रहीं। आज विश्व भर में फैले भारत के युवा अपने देश को याद करते हैं और घरों से उजड़ने का दुख उन्हें सालता रहता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब मेक इन इंडिया का नारा दिया तो कई उद्योगपतियों ने अपने दफ्तर भारत में खोल दिए। आज वे उद्योगपति पूरी दुनिया में तीन दफ्तर और कारखाने चलाते हैं जिनमें भारत के युवाओं को रोजगार के अवसर मिले हैं। कई वैश्विक कंपनियां भी भारत के युवाओं से तकनीकी कामकाज कराती हैं।
इसके विपरीत चीन ने अपने युवाओं की तस्करी नहीं की। अपनी लागत पर दुनिया भर के उद्योगों को रोशन नहीं किया। चीन ने घरेलू उत्पादन को पूरी दुनिया में बेचा और आज उसकी मुद्रा पूरी दुनिया में तहलका मचा रही है। भारत में नरेन्द्र मोदी जब मेक इन इंडिया का नारा दे रहे हैं तब मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार युवाओं को विदेश भेजने की मुहिम चला रही है। जाहिर है कि ये भारत सरकार की राष्ट्रीय सोच के विपरीत कदम है। जिसे केन्द्र की भाजपा सरकार लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। कमलनाथ सरकार का ये अभियान अंततः कांग्रेस सरकार की विदाई की वजह भी बन सकता है।
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