खर्च कम करके आय बढ़ाएगा कमलनाथ सरकार का बजट

मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में आज की कार्यवाही ने प्रदेश के राजनैतिक और आर्थिक हालात की पूरी तस्वीर प्रस्तुत कर दी। वित्तमंत्री तरुण भनोट के बजट भाषण पर सदन के 32 विधायकों ने पिछले दो दिनों में जिस तरह अपने विचार प्रस्तुत किए उन्हें लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर तीखी तकरार हुई। सदन के समवेत होते ही विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने जब प्रश्नकाल प्रारंभ करने की अनुमति दी तो आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरु हो गया। भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल ने शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी से पूछा कि चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में वादा किया था कि वह सत्ता में आने पर निजी स्कूलों के शिक्षकों का नियमितीकरण करेगी। अब सात महीने बीत चुके हैं, निजी स्कूलों के शिक्षक तनावपूर्ण माहौल में काम करते हैं। उन्हें सरकार कब नियमित करेगी और उनके वेतनमान बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने युवाओं को रोजगार देने का वादा करते हुए कहा था कि पीएससी से शिक्षकों के पद भरे जाएंगे और युवाओं को नौकरी दी जाएगी। श्री पटेल ने कहा कि यदि पीएससी होती है तो कई सालों से निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे। ऐसे हालात में सरकार पहले उन्हें नियमित करे और फिर युवाओं की नई भर्तियां करे। कांग्रेस ने चुनाव में वादा तो कर दिया था पर वह इस पर अमल कब कर रही है। इस पर प्रभुराम चौधरी ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है और सभी संभावनाओं का अध्ययन कराया जा रहा है। इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया। इस बीच नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने प्रभुराम चौधरी के जवाब पर व्यंग्य कसते हुए कहा कि एक तरफ तो वोटें ठग लीं और अब कह रहे हैं कि वादों पर अमल की समय सीमा बताना संभव नहीं है। आपकी भी समय सीमा नहीं है कि सरकार आखिर कब तक रहेगी। इस पर गृहमंत्री बाला बच्चन ने कहा कि क्या आप हमारी समयसीमा तय करेंगे। हमारा फैसला तो विधायकगण कर चुके हैं। इस बीच लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि आप अपनी समयसीमा बता दो कि आप कब तक नेता प्रतिपक्ष बने रहेंगे। इस पर भाजपा के डाक्टर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि एक मेरे पास एक वाट्सएप संदेश आया था जिसमें कहा गया था कि एक मानसून कर्नाटक से होता हुआ मध्यप्रदेश की ओर आने को अग्रसर है। इस पर अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा कि यह सदन का विषय नही है। इस पर बाला बच्चन ने जवाब दिया कि ये मानसून मध्यप्रदेश में प्रवेश नहीं कर पाएगा. एक सवाल के जवाब में विधायक मुन्नालाल गोयल ने पूछा कि स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश और केन्द्र के बीच हिस्सेदारी क्या है। इसके जवाब में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने बताया कि ये प्रोजेक्ट केन्द्र प्रवर्तित है और इसमें केन्द्र व राज्य की पचास पचास प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इस पर श्री गोयल ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के संबंध में जो गाईड लाईन बनाई गई है उसका पालन नहीं हो रहा है। स्मार्ट सिटी में शिक्षा, स्वास्थ्य, पार्क आदि की व्यवस्था की जानी है लेकिन राज्य सरकार गाईड लाईन का पालन नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि जो फंड केन्द्र से आ रहा है या राज्य खर्च कर रहा है उसका खर्च कैसे हो रहा है इसे जानने के लिए स्थानीय जन प्रतिनिधियों की निगरानी भी होनी चाहिए। ये राशि किसी व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। जनता का पैसा है और उसका पूरा उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस पर नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि मैं माननीय विधायक जी को पूरा आश्वासन देता हूं कि गाईड लाईन का पूरा पालन किया जाएगा।उन्होंने कहा कि ग्वालियर में फेस टू के लिए तीन सौ पचास करोड़ का फंड आया है। लेकिन अभी उसमें से केवल सैंतीस करोड़ ही खर्च हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के लिए ग्वालियर में जो जगह निर्धारित है उसमें से विधायक जी की विधानसभा का बहुत छोटा क्षेत्र आता है। उन्होंने कहा कि खेल क्षेत्र और मेडीकल कालेज के लिए पांच करोड़ इन्क्यानवे लाख रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। भोपाल के मास्टर प्लान के संबंध में विधायक रामेश्वर शर्मा ने नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह से पूछा कि मास्टर प्लान की सड़कों का निर्माण अब तक क्यों नहीं हो पाया है और सरकार इन्हें कब तक पूरा करेगी। इस पर श्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि सड़कों का निर्माण बजट की व्यवस्था के आधार पर किया जाता है। जैसे जैसे बजट मिलता जाएगा सड़कों का निर्माण होता जाएगा। उन्होंने कहा कि भोपाल के मास्टर प्लान का काम जारी है। इसे 2005 में और 2015 में बन जाना था पर पिछली सरकार उसे लागू क्यों नहीं कर पाई इसकी वजह वे नहीं बता सकते। उन्होंने कहा कि अंतिम मास्टर प्लान 1995 में लागू हुआ था तबसे भोपाल की तस्वीर बहुत बदल चुकी है। हमारी सरकार का प्रयास है कि इस साल के अंत तक नया मास्टर प्लान लागू हो जाए। उन्होंने कहा कि कई एजेंसियां सड़कों का निर्माण करती हैं। कई सड़कें नगर निगम की होती है, कई सीपीए, कई लोक निर्माण विभाग और कई बीडीए की भी होती हैं इसलिए ये काम सदन के भीतर बैठकर तो तय नहीं किया जा सकता कि कौन सी सड़क कौन सी एजेंसी लेगी।

विधायक नागेन्द्र सिंह ने रीवा जिले में अवैध उत्खनन का मामला उठाया तो खनिज मंत्री प्रदीप जयसवाल ने कहा कि अवैध उत्खनन रोकने के लिए सरकार मुस्तैदी से काम कर रही है। जुर्माना भी वसूला जा रहा है, वाहनों के राजसात करने की कार्रवाई भी की जा रही है। इस पर नागेन्द्र सिंह ने कहा कि अवैध उत्खनन की तुलना में सरकार की कार्रवाई बहुत सीमित है। इस विषय पर कई सदस्यों की टिप्पणियों को अध्यक्ष ने विलोपित कर दिया। प्रश्नकाल समाप्त होते ही कई सदस्य टोका टाकी करके अपनी बातें कहने लगे। इस पर अध्यक्ष श्री प्रजापति ने कहा कि शून्यकाल का मतलब ये नहीं कि सब शून्य हो गया है। जब घड़ी के दोनों कांटे बारह बजे पर आते हैं तो इसे शून्यकाल कहा जाता है। इसके बाद भी कार्यवाही चलती है इसलिए आप लोग हस्तक्षेप करना बंद करें। पथरिया विधायक राम बाई ने क्षेत्र के एक परिवार के अट्ठाईस लोगों को पुलिस मुकदमे में जबरन फंसाए जाने का मामला उठाया। इस पर अध्यक्ष श्री प्रजापति ने कहा कि जब कोई मामला अदालत में विचारणीय होता है तो उस पर सदन में चर्चा नहीं की जाती है। नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा में मीडिया के व्यवस्थापन का मुद्दा भी उठाया। इस पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि आसंदी से कुछ ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि मीडिया का भी सम्मान बना रहे और विधायिका का भी गौरव बढ़े। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि जो संस्था विधायिका के लिए बनी है उसमें ही यदि वो धक्के खाने को मजबूर हो जाए तो काम कैसे होगा। पहले मीडिया का स्वरूप बहुत छोटा था अब इलेक्ट्रानिक मीडिया भी है और प्रिंट मीडिया भी इसलिए दोनों के लिए अलग कक्ष दे दिए गए हैं। धीरे धीरे व्यवस्था जम जाएगी जो बातें सामने आएंगी उसके मुताबिक और भी बदलाव हो जाएंगे। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि एक ही सवाल के जवाब देने के लिए सदस्यों को दो अलग अलग स्थानों पर जाना पड़ रहा है। गोपाल भार्गव ने कहा कि विधानसभा सलाहकार समिति की राय से उचित व्यवस्था दे दें तो इसके जवाब में अध्यक्ष ने कहा कि उचित समय पर निर्णय ले लिया जाएगा। सदन के कामकाज को देखते हुए अध्यक्ष महोदय ने भोजनावकाश निरस्त कर दिया और मौजूदा वर्ष के आय व्ययक पर चर्चा आहूत की। बजट पर चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि सदन में कहा गया कि आर्थिक सर्वेक्षण में जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश पिछड़ गया है और बीमारू राज्य हो गया है। हकीकत में राज्य का विकास तेज गति से हुआ है। दो हजार तीन की तुलना में देखें तो राज्य में बिजली, सड़क,पानी, सिंचाई जैसे कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व विकास हुआ है। जहां तीन हजार मेगावाट बिजली बनती थी वहां अब अठारह हजार छह सौ साठ मेगावाट बिजली बनती है। इस पर वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने कहा कि दो लाख करोड़ का कर्ज किसने लिया। इस पर गोपाल भार्गव ने कहा कि आपने तो सत्ता में आते ही कर्ज और फिजूलखर्ची शुरु कर दी है। अगले महीने से तो सरकार वेतन भी नहीं बांट पाएगी। पिछले पंद्रह सालों में हमारी सरकार ने कभी ओवरड्राफ्ट नहीं किया था। उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगना चाहिए। यदि हम कहें कि नेहरू जी, इंदिरा जी, लाल बहादुर शास्त्री जी, अटलजी के जमाने में देश में कुछ नहीं हुआ तो ये कहना उन विभूतियों के साथ अन्याय करना होगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रीजी ने बजट में जो आय बढ़ने का आंकडा प्रस्तुत किया है उसे उन्हें एक बार फिर जांच करके कंफर्म करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य उत्पाद कर में सैंतीस प्रतिशत की ग्रोथ दिखाई गई है, जबकि अधिकतर ठेके बीस से अठारह प्रतिशत पर हो रहे हैं। पिछले दस वर्षों की ग्रोथ रेट को आधार बनाकर ये बजट बनाया जाता तो ज्यादा उपयुक्त होता। श्री भार्गव ने कहा कि मैं इस बजट को खोखला कहता हूं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आंकड़ों के आधार पर बजट बनने से ये स्थितियां बनेंगी कि न तो निर्माण हो पाएंगे न ही भुगतान हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि जीएसटी में 70 फीसदी की बढ़त दिखाई गई है , जबकि ये संभव नहीं है। यदि आप इतनी बढ़त दिखाएंगे तो फिर केन्द्र अतिरिक्त राशि क्यों देगा। नियम ये है कि यदि आप घाटे में जा रहे हैं तो घाटे की प्रतिपूर्ति केन्द्र से की जाएगी। जब आप मुनाफा दिखाएंगे तो संसाधन कैसे जुटा पाएंगे। इसी तरह स्टाम्प ड्यूटी में 23 फीसदी की बढ़त दिखाई गई है, जबकि कलेक्टर गाईड लाईन में 20 प्रतिशत की कमी की गई है। इसी तरह भू राजस्व में सौ फीसदी बढ़त दिखाई गई है जो किसी भी तरह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग की सब्सिडी आदि पर आठ हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है जबकि हमने लगभग साढ़े चौदह हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। जाहिर है कि सरकार को अपने इस फैसले पर एक बार फिर विचार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने सहकारी बैंकों को एक हजार करोड़ देने का फैसला किया है। यदि ऐसा होता है तो सरकार खस्ताहाल बैंकों की मालिक ही बन जाएगी। ऐसे में रिजर्व बैंक इन सहकारी बैंकों का लाईसेंस निरस्त कर देगा। सरकार को कर्ज के एवज में इन बैंकों में पूंजी निवेश करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि सारी सहकारी मिलें घाटे में चल रही हैं उन्हें उबारने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं।

बजट भाषण के संबंध में सभी सदस्यों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए वित्तमंत्री तरुण भनोट ने कहा कि इस संबंध में सभी आपत्तियों का कोई आधार नहीं है। सरकार प्रदेश की बेहतरी के लिए काम कर रही है। शराब पर इस बार पंद्रह के स्थान पर बीस फीसदी वृद्धि की गई है इससे प्रदेश का राजस्व बढ़ेगा। उन्होंने पांच रुपए में गरीबों को भोजन कराने वाली दीन दयाल रसोई योजना बंद किए जाने के आरोप का खंडन करते हुए कहा कि राज्य में हर दिन तेरह हजार गरीबों को पांच रुपए में भोजन कराया जा रहा है। ये योजना कई कंपनियों से फंड जुटाकर चलाई जा रही है। सरकार इसमें आवश्यक सुधार भी करेगी। इस पर भाजपा के जालम सिंह पटेल ने कहा कि मैं स्वयं ये योजना चलाता रहा हूं। इसमें पांच रुपए की राशि बहुत कम पड़ती है। रसोई का पूरा खर्च नहीं निकल पाता है इसलिए इस राशि को बढ़ाया जाना चाहिए। इस पर वित्तमंत्री तरुण भनोट ने कहा कि सरकार इस सुझाव पर अवश्य विचार करेगी। मनोहर ऊंटवाल के आरोप के जवाब में श्री भनोट ने कहा कि हमने गौशालाओं के लिए दी जाने वाली चार रुपए की राशि को बढ़ाकर बीस रुपए प्रतिदिन प्रतिगाय की दर से बढ़ा दिए हैं। इससे गौवंश की देखभाल अच्छी तरह हो पाएगी। इसके लिए बजट में पर्याप्त प्रावधान किया गया है। आगे और भी संशोधन किए जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली भाजपा की सरकार तो एक गौशाला भी नहीं खोल सकी थी जबकि कमलनाथ सरकार ने जो प्रावधान किए हैं उससे प्रदेश में पर्याप्त गौशालाएं खोली जा सकेंगी। धीरे धीरे ये स्थिति बन जाएगी कि एक भी गौवंश आवारा हाल में सड़कों पर नहीं फिरेगा। इस बीच भाजपा के बहादुर सिंह चौहान ने कहा कि सरकार ने सारी जन हितैषी योजनाओं की दुर्गति कर दी है। तीर्थ दर्शन योजना में दो सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाता था सरकार ने बजट में उसे मात्र छह करोड़ रुपए कर दिया है।

सदन में तीन अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किए गए जिन्हें अध्यक्ष की घोषणा के अनुसार सर्वानुमति से पारित कर दिया गया। जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ग्रामीण इलाकों में आबंटित की जाने वाली राशि डेढ़ लाख रुपए से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए किए जाने का संकल्प भी शामिल था। दशहरा दीपावली की छुट्टियों में या उसके तुरंत बाद परीक्षाओं का आयोजन न किए जाने और इटारसी से इलाहाबाद के लिए प्रतिदिन ट्रेन चलाने के संकल्प भी सदन ने पारित कर दिए। अपरान्ह अध्यक्ष महोदय ने सदन की कार्यवाही बुधवार सत्रह जुलाई तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*