भोपाल,28 अप्रैल(प्रेस सूचना केन्द्र)।मध्यप्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और बहुजन समाज पार्टी के नेता रहे आईपीएस सुभाष चंद्र त्रिपाठी ने कहा है कि उन्हें मुंबई के 26। 11/2013 को हुए हमले में असमय काल कवलित हुए हेमंत करकरे के माफिया कनेक्शन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे तो सिर्फ इतना जानते हैं कि ड्यूटी के दौरान वे आतंकवादी की गोलियों से मारे गए थे और भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया था। इसी वजह से जब उन्होंने सुना कि भोपाल से भाजपा की ओर से लोकसभा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ने करकरे पर निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाने वाला बताया है तो उन्होंने अपने साथियों से साथ मिलकर बयान की निंदा की।
नशा माफिया और डाकू गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए मुस्तैद माने जाने वाले एस.सी.त्रिपाठी ने एक मुलाकात में बताया कि हेमंत करकरे ने अपना कर्तव्य निभाते हुए मुंबई हमले के दौरान मोर्चा संभाला था जहां उन्हें गोलियां लगीं थीं। जिन हालात में करकरे आगे आए थे वो निश्चय ही सराहनीय कदम था। हम इस मुद्दे पर और ज्यादा पहलुओं पर बात करके अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते।
मध्यप्रदेश में नशे की आवक के लिए दोषी पुलिस वालों पर कड़ी कार्रवाई कर चुके श्री त्रिपाठी से पूछा गया मुंबई में नशे का कारोबार करने वाला माफिया आखिर किसके संरक्षण में पनपा। करकरे की टीम ने जिन 75 के करीब एनकाऊंटर में अपराधियों को मारा उनमें दाऊद गेंग का एक भी नहीं था, सभी अरुण गवली या राजन गैंग के थे। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पुलिस ने ये कार्रवाई क्यों की इसके बारे में तो मुंबई एटीएस ही बता सकती है।
देश के स्तर पर आईपीएस एसोसिएशन ने वर्दीधारी की मौत पर निंदा प्रस्ताव पारित किया पर मध्यप्रदेश के आईपीएस इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। ये जवाबदारी चंद सेवा निवृत्त आईपीएस ही क्यों निभा रहे हैं ये पूछा जाने पर उन्होंने कहा कि हम सिर्फ देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले करकरे की बात कर रहे हैं, हमें उनके पुराने कामकाज के बारे में कुछ नहीं कहना। देश के स्तर पर जो लोग सवाल उठा रहे हैं उनका पक्ष वे ही बता सकते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि साध्वी प्रज्ञा ने खुद को प्रताड़ित किए जाने की बात कहते हुए हेमंत करकरे को इसके लिए दोषी बताया था तो उन्होंने कहा कि ये आरोप अदालत में साबित नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि कई बार यदि प्रताड़ना की बात ठीक तरह से उठाई जाती है तो अदालत में दोषियों को सजा तक मिलती है। इस मुद्दे पर अदालत के सामने साक्ष्य नहीं आ पाए तो इसके लिए करकरे को दोषी कैसे माना जा सकता है।
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि देश में रुपए के लेनदेन पर कड़ी निगाह रखी जाती है इसके बावजूद चुनाव आयोग की निगरानी में काला धन बरामद हो रहा है जो जाहिर करता है कि देश की व्यवस्था में कोई लीकेज जरूर है। पुलिस के भी कई अफसर आपराधिक गतिविधियों में संलग्न रहते हैं पर इसके लिए पूरी पुलिस फोर्स को तो दोषी नहीं ठहराया जा सकता। हम सिर्फ यही कहना चाहते हैं।
साध्वी प्रज्ञा के आरोपों के बारे में उन्होंने कहा कि इससे ऐसा लग रहा है कि भारत में कानून का राज नहीं है। भारत एक बनाना इस्टेट बनकर रह गया है।सच्चाई ये है कि एनआईए की अदालत ने मालेगांव बम कांड के आरोपियों से मकोका हटाया है पर साध्वी प्रज्ञा और उनके सहयोगियों पर मुकदमा तो चलाया ही जा रहा है।वे बेदाग साबित होती हैं या नहीं ये भविष्य के गर्त में है।करकरे का पक्ष उनकी दस्तावेजी कार्रवाई से ही समझा जा सकता है।अदालत के फैसले से भी समझा जा सकता है कि चूक कहां हुई।
Leave a Reply