भोपाल,8 फरवरी(प्रेस सूचना केन्द्र)।मध्यप्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त केडी खान और सूचना आयुक्त आत्मदीप का कार्यकाल आज समाप्त हो गया। सूचना भवन में आयोजित एक औपचारिक कार्यक्रम में दोनों को विदाई भी दे दी गई। परिवार को सबसे प्रमुख इकाई मानने वाले केडी खान को राष्ट्रवादी भाजपा ने अपना सूचना आयुक्त बनाया था पर अब नए सूचना आयुक्त का फैसला कमलनाथ सरकार को करना है। फिलहाल सूचना आयुक्त सुखराज सिंह ने प्रभार संभाल लिया है।
मुख्य सूचना आयुक्त के लिए जिन प्रमुख हस्तियों के प्रस्तावों पर सरकार विचार कर रही है उनमें सूचना आयुक्त आत्मदीप और सुखराज सिंह भी शामिल हैं। तरह तरह के नवाचारों से मध्यप्रदेश में सूचना के कानून को लोकप्रियता मिली उनमें बहुत सारे प्रयोग सूचना आयुक्त आत्मदीप ने किए थे। जनता को सूचना का अधिकार देने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय के नेतृत्व में राजस्थान से शुरू हुए आंदोलन में सहभागिता, सूचना का अधिकार अधिनियम एवं म0प्र0 सूचना का अधिकार (फीस व अपील) नियम 2005 के सुविज्ञ, सूचना के अधिकार के बेहतर क्रियान्वयन, इस अधिकार की पहुंच अधिकाधिक जनता तक पहुंचाने और इस अधिकार का लाभ ज्यादातर लोगों तक पहुंचाने के लिए म.प्र. राज्य सूचना आयुक्त के रूप में विशेष प्रयास, जनहित में म.प्र. में सर्वाधिक नवाचार किए ।
देश में पहली बार म.प्र. में आर. टी. आई. एक्ट के तहत लोक अदालतों के आयोजन का शुभारंभ कराया । म0प्र0 सूचना आयोग में पहली बार वीडियो कान्फ्रेंसिंग से अपीलों की सुनवाई शुरू कराई । पक्षकारों की सुविधा के लिए सूचना आयोग को उसकी चारदीवारी से बाहर निकाल कर जनता के बीच ले जाने की पहल की । अपने प्रभार के सभी जिलों के दौरे कर जिला मुख्यालयों पर केंप कोर्ट लगाए और जिले की अपीलों का जिले में ही जाकर निराकरण करने का प्रयास किया । आर.टी.आई. एक्ट के प्रमुख उद्देश्य तथा एक्ट के मुख्य प्रावधानों की जानकारी देकर लोकसेवकों को लोकहित व लोक क्रिया कलाप से संबंधित अधिकाधिक जानकारियां नागरिकों को देने के लिए प्रेरित करने के लिए जिला मुख्यालयों पर जाकर लोक सूचना अधिकारियों, अपीलीय अधिकारियों व सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ से जुडे़ लोक सेवकों की कार्यशालाएं आयोजित की । 5 वर्ष के कार्यकाल में 5 हजार से अधिक अपीलों व शिकायतों का निराकरण किया, सूचना के अधिकार की अवज्ञा करने वाले 21 लोक सूचना अधिकारियों को 3,13,500 रू0 के जुर्माने-हर्जाने से दंडित किया ।
अपीलों व शिकायतों की सुनवाई के लिए पक्षकारों को भोपाल आने-जाने से राहत देने के लिए देश में पहली दफा मध्यप्रदेश में फोन पर सुनवाई कर प्रकरणों का निराकरण करने की पहल की । इससे अधिकारियों-कर्मचारियों की यात्रा पर खर्च होने वाले लोकधन की बचत हुई, शासकीय कार्यालयों का नियमित कामकाज बाधित होने से बचा, अधिकारियों-कर्मचारियों व अपीलार्थियों को यात्रा में होने वाली परेशानी से राहत मिली और सबके समय, श्रम, काम व धन की बचत हुई । उचित मूल्य की दुकानों, रेडक्रास सोसायटी आदि अनेक संस्थानों/निकायों को आर.टी.आई. एक्ट के दायरे में लाकर नागरिकों को वांछित सूचनाएं उपलब्ध कराने की पहल की ।
सूचना आयुक्त के रूप में आत्मदीप ने देश में पहली बार म.प्र. में अपने स्तर पर ऐसी निःशुल्क सुविधा सबके लिए उपलब्ध कराई कि कोई भी नागरिक व लोकसेवक सूचना के अधिकार के संबंध में उनसे फोन, मोबाईल, वाट्सएप, इंस्ट्रग्राम, ईमेल आदि के जरिए कभी भी वांछित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस सुविधा से न केवल मध्यप्रदेश बल्कि अन्य राज्यों के भी काफी लोग लाभान्वित हुए जिनमें प्रवासी भारतीय भी शामिल हैं । सूचना के अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से ‘राईट टू इंफर्मेशन’ (जर्नलिस्ट) नाम से फेसबुक पेज भी बनाया और सोशल मीडिया का भरपूर सदुपयोग किया । सुनवाई में निःशक्तजनों, बुजुर्गों व महिलाओं को प्राथमिकता देने का प्रावधान किया । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हर 8 मार्च को सिर्फ महिलाओं की अपीलों व शिकायतों को सुनवाई के लिए नियत किया ।
प्रदेश के अनेक जिलों में गैर सरकारी कार्यक्रमों में भी प्रबोधन देकर सूचना के अधिकार को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया । दुबई व अबूधाबी में भी गोष्ठी आयोजित कर प्रवासी भारतीयों को सूचना के अधिकार का लाभ लेने हेतु प्रेरित किया।
पत्रकार के रूप में: पूर्व में पत्रिका, नवभारत टाईम्स व जनसत्ता के कार्यालय संवाददाता/विशेष संवाददाता के रूप में करीब 35 वर्षों तक पूर्णकालिक पत्रकारिता की । जन सरोकारों से जुड़ी सार्थक पत्रकारिता करने तथा निष्पक्ष, खोजपूर्ण व रचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए कई पुरूस्कारों से सम्मानित, विशेषकर मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा श्रेष्ठ पत्रकार के रूप में ‘माणक अलंकरण’ से तथा जगदगुरू शंकराचार्य श्री वासुदेवानंद सरस्वती द्वारा ‘गुणीजन सम्मान’ से सम्मानित । देश के प्रमुख पत्रकार महासंघ नेशनल यूनियन आप जर्नलिस्टस्, इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव के नाते पत्रकारों के लिए उल्लेखनीय कल्याणकारी कार्य किए तथा संयुक्त राष्ट्र के अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन में पत्रकार बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने वाले इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स, ब्रुसेल्स द्वारा विभिन्न देशों में आयोजित कार्यशालाओं में भागीदारी की ।
म0प्र0
शासन द्वारा गठित
राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता
समिति तथा म0प्र0
विधानसभाध्यक्ष द्वारा
गठित पत्रकार दीर्घा सलाहकार
समिति के भी सदस्य रहे । पत्रकारों
के कल्याण के लिए राष्ट्रीय
स्तर पर गठित जर्नलिस्ट्स
वेलफेयर फाउंडेशन, नई
दिल्ली के भी दो बार निर्विरोध
राष्ट्रीय सचिव चुने गए ।
विज्ञान
व प्रोद्यौगिकी: पत्रकारिता,
आर.टी.आई.
एक्ट सहित विभिन्न
कानूनों व राज्य सूचना आयोग
के काम-काज के बारे
में विशेषज्ञता के अतिरिक्त
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र,
मुंबई में प्रशिक्षण
प्राप्त कर परमाणु उर्जा
प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में
भी विशेषज्ञता हासिल की ।
विज्ञान व तकनीकी के इस क्षेत्र
में व पोखरण टू के संबंध में
की गयी रिपोर्टिंग की देश के
प्रमुख वैज्ञानिक डा0 अब्दुल
कलाम आजाद, डा0
आर0 चिदंबरम
व डा0 अनिल काकोड़कर
द्वारा मुक्त कंठ से सराहना
की गयी । जन सेवा को समर्पित,
अब तक के जीवन पर अनुचित
कार्य का कोई आक्षेप नहीं ।
पत्रकार व राज्य सूचना आयुक्त
के रूप में संपूर्ण जीवन यात्रा
बेदाग रही ।
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