उपाध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने फिर किया जीत का उद्घोष

मध्यप्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद पहला सत्र आज शोरशराबे की भेंट चढ़ गया। कमलनाथ सरकार ने इसी शोरगुल के बीच बाईस हजार करोड़ से अधिक का बजट पारित करवा लिया।विपक्ष की नारेबाजी और धरने के बीच सदन के समापन की घोषणा भी कर दी गई। सदन के समवेत होते ही पूर्व मुख्यमँत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल राज्यसभा में पारित सवर्ण गरीबों को आरक्षण के विधेयक पर धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने इस विधेयक को क्रांतिकारी बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन किया। विपक्षी सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका समर्थन किया। इस बीच सत्ता पक्ष की ओर से कई सदस्यों ने विधेयक को राजनीतिक कदम बताते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए मोदी सरकार ने ये विधेयक प्रस्तुत किया था। इस बीच अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री यदि इस बात को उठाने से पहले सचिवालय को सूचना दे देते और अनुमति प्राप्त कर लेते तो अच्छा था। इस तरह से बीच में बोलने से नए सदस्यों पर गलत असर पड़ता है। इसके जवाब में जावरा से भाजपा विधायक राजेन्द्र पांडेय ने आसंदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि नियम तोड़ने की शुरुआत आसंदी की ओर से पहले ही दिन हो गई थी।उपाध्यक्ष के चुनाव में भी इसी तरह सदन की मान्य परंपराओं और नियमों को ताक पर रख दिया गया। इस पर सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि ये आसंदी का अपमान है। इस बीच अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा कि जब अध्यक्ष खड़े हों तब माननीय सदस्यगण बैठे रहें और अध्यक्ष की बात सुनें। इस बीच नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि आसंदी की ओर से यदि उपाध्यक्ष निर्वाचन के संबंध में प्राप्त सूचनाएं पढ़ी नहीं जाएंगी तो वो केवल कागज का टुकड़ा ही रहेंगी। पांचों को एक साथ पढ़ा जाए और सदन से उसका अनुमोदन लिया जाए। अध्यक्ष के निर्वाचन में भी इसी प्रकार चार सूचनाएं पढ़कर कार्रवाई आगे बढ़ा दी गईं थी। इस पर आसंदी की ओर से उपाध्यक्ष के निर्वाचन के संबंध में प्राप्त पांचों सूचनाओं का पाठन किया गया। उन्होंने पांचीलाल मेढ़ा को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान की। जिसमें उन्होंने सुश्री हिना लिखीराम कांवरे को विधानसभा का उपाध्यक्ष चुने जाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। संसदीय कार्यमंत्री डाक्टर गोविंद सिंह ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। अध्यक्ष ने बताया कि सुश्री हिना लिखीराम कांवरे के लिए इसी प्रकार के प्रस्ताव विधानसभा सदस्य प्रताप ग्रेवाल, पीसी शर्मा, राजेश शुक्ला की ओर से भी प्रस्तुत किए गए हैं।एक अन्य प्रस्ताव नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की ओर से जगदीश देवड़ा के लिए प्रस्तुत किया गया है। इस प्रस्ताव का समर्थन डाक्टर सीतासरन शर्मा ने किया है। इस बीच उन्होंने सदन से उपाध्यक्ष के निर्वाचन करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सुश्री हिना लिखीराम कांवरे को उपाध्यक्ष बनाए जाने पर सदन सहमत है। इसके जवाब में सत्तापक्ष के सदस्यों ने हाथ उठाकर समवेत स्वर में प्रस्ताव का समर्थन किया।अध्यक्ष ने इसके साथ ही उपाध्यक्ष के नाम निर्वाचन की घोषणा कर दी। जब ये प्रक्रिया चल रही थी तब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डाक्टर सीतासरन शर्मा ने प्वाईंट आफ आर्डर उठाते हुए अपनी बात कहने का समय मांगा। इस पर अध्यक्ष श्री एनपी प्रजापति ने कहा कि चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है ऐसे में प्वाईंट आफ आर्डर का कोई अर्थ नहीं और हम इसकी अनुमति नहीं देते हैं। उपाध्यक्ष के नाम की घोषणा के विरोध में विपक्ष के सदस्य गर्भगृह में आने लगे। इस पर अध्यक्ष ने सदस्यों से गर्भगृह में न आने का अनुरोध किया। नेता प्रतिपक्ष ने इस पर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि ये आसंदी की तानाशाही है और ये नहीं चलेगी।ऐसे तो सदन नहीं चल सकता। आसंदी की ओर से विपक्ष को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आसंदी की ओर इशारा करते हुए अध्यक्ष से कहा कि आप निष्पक्ष नहीं हैं। हमें न्याय नहीं मिल सकता। इस पर शोरगुल बढ़ने लगा और अध्यक्ष ने सदन को दस मिनिट के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। एक बार फिर जब सदन समवेत हुआ तो अध्यक्ष ने कहा कि मैंने नेता प्रतिपक्ष की बात सुनने के बाद ही कार्यवाही आगे बढ़ाई थी। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आसंदी से सत्य वचन किया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की ही बात सदन में नहीं सुनी जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई जिसे अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही से विलोपित करवा दिया। अध्यक्ष ने कहा कि कौल शकधर की किताब में साफ लिखा है कि चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जाने के बाद रोकी नहीं जा सकती। इस पर प्वाईंट आफ आर्डर नहीं लिया जा सकता। इस बीच सदन में शोरगुल होने लगा। गर्भगृह में खड़े विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करने लगे। जिस पर सदन की कार्यवाही एक बार फिर दस मिनिट के लिए स्थगित कर दी गई। सदन के फिर समवेत होने पर अध्यक्ष ने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें। इस बीच नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने आसंदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपका निर्वाचन असत्य है, असंवैधानिक है, अनियमित है। उन्होंने नारा लगाया अध्यक्ष जी इस्तीफा दो। इस बीच कई अन्य सदस्य भी अपने स्थान से खड़े होकर नारेबाजी करते सुने गए। शोरगुल बढ़ते देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही फिर से दस मिनिट के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। लगभग साढ़े बारह बजे जब सदन एक बार फिर समवेत हुआ तो अध्यक्ष श्री प्रजापति ने कहा कि मेरा सदन के सभी सम्मानीय सदस्यों के प्रति सम्मान का भाव है। नियम प्रक्रियाओं के पालन में हमें कई बार कठिन फैसले भी लेने होते हैं। सदन के सभी वरिष्ठ सदस्य हमारे लिए आदरणीय हैं। इस बीच सत्ता पक्ष के केपीसिंह अपने स्थान पर खड़े हो गए और कहने लगे कि अध्यक्ष को अपने फैसले पर सफाई नहीं देनी चाहिए। अध्यक्ष ने कहा कि मैंने उपाध्यक्ष के निर्वाचन की कार्यवाही निर्वाचन की प्रक्रिया के अनुसार की है। मैं विपक्ष के सदस्यों के लिए सौंपता हूं कि वे इस पर फिर विचार करें। उन्होंने सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाते हुए विधि और विधायी मंत्री पीसी शर्मा को मध्यप्रदेश माल और सेवा कर संशोधन अध्यादेश को सदन के पटल पर रखने की अनुमति प्रदान की।शोरशराबे के ही बीच पत्रों के पटल पर रखे जाने की प्रक्रिया भी चलती रही। इसी दौरान वित्तमंत्री तरुण भनोत ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन भी सदन के पटल पर रखे।शासकीय विधि विषयक कार्यों से संबंधित विधेयक वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने प्रस्तुत किया और पुरःस्थापन की अनुमति प्राप्त की। इस बीच नवनिर्वाचित विधानसभा उपाध्यक्ष सुश्री हिना लिखीराम कांवरे ने राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदसौर में किसानों को कर्जमाफी का जो वादा किया था कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने सत्ता संभालते ही कर्जमाफी की घोषणा कर दी है।इस बीच भी सदन में शोरगुल चलता रहा और कई बातें नहीं सुनी जा सकीं। इस बीच विजयलक्ष्मी साधो ने कहा कि जब सदन की सम्मानीय महिला सदस्य बोल रहीं हैं तब भी विपक्ष के सदस्य शोर मचा रहे हैं इससे साफ जाहिर हो जाता है कि महिलाओं के प्रति उनका क्या रवैया है। कांवरे ने कहा कि पिछली सरकार के बीच विधायिका और कार्यपालिका के बीच दूरियां बनी हुईं थीं। प्रशासनिक तौरतरीकों में काफी बदलाव किए जाने की जरूरत है। भाजपा के कई सदस्य बगैर अनुमति के बीच में बोलते रहे। भाजपा के दिनेश राय मुनमुन ने कहा कि कमलनाथ जी ने प्रदेश के युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देने की घोषणा की है। ऐसे में युवाओं को आगे बढ़कर अन्य प्रदेशों के युवाओं को रोजगार से बाहर कर देना चाहिए। धन्यवाद प्रस्ताव के संबंध में सेवढ़ा विधायक घनश्याम सिंह ने सरकार ने अपने अधिकतर चुनावी वायदे पूरे कर दिए हैं। इस तरह से ये तेज काम करने वाली सरकार है। इस बीच उज्जैन के मोहन यादव अपने स्थान पर खड़े होकर सरकार के विरोध में भाषण करने लगे। उन्होंने कहा कि सदन में लोकतंत्र का अपमान किया जा रहा है। इस बीच आसंदी से द्वितीय अनुपूरक मांगों पर मतदान कराने की अनुमति प्रदान की। वित्तमंत्री तरुण भनोत ने इकत्तीस मार्च को समाप्त होने जा रहे वित्तीय वर्ष के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित खर्च के लिए बाईस हजार दो सौ सड़सठ करोड़, उनत्तीस लाख पांच हजार छह सौ रुपए की अनुपूरक राशि देने का अनुरोध किया जिसे सत्ता पक्ष ने विपक्षी शोरगुल के बीच पारित कर दिया। संसदीय कार्यमंत्री डाक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि सदन से सभी कार्य पूरे हो चुके हैं इसलिए सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाए। इस पर अध्यक्ष ने सहमति प्रदान की और सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।

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