
मध्यप्रदेश में चुनावी बुखार शुरु हो गया है। कांग्रेस के चुनावी मोड में आते ही भाजपा ने अपनी सतत संगठित होने की प्रक्रिया को भांजना शुरु कर दिया है। फिलहाल भाजपा के दिग्गजों की चिंता यही है कि चौदह साल से सत्ता पर आसीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा के लिए कहीं दिग्विजय न साबित हों। जिस तरह दिग्विजय सिंह ने जान बूझकर कांग्रेस का बंटाढार किया उसी तरह शिवराज भी भाजपा के लिए भस्मासुर न साबित हो जाएं। उनके बयानों ने और ताजा राजनीतिक यात्राओं ने भाजपा के दिग्गजों के कान खड़े कर दिये हैं। इसके चलते भाजपा अब मध्यप्रदेश में कोई नया राजनीतिक फेरबदल कर सकती है। कम से कम मुख्यमंत्री की गतिविधियों पर निगाह रखने के लिए वह किसी नेता को उप मुख्यमंत्री बना सकती है। इसके अलावा फिलहाल राज्यपाल की कुर्सी भी लगभग खाली है। इसलिए भाजपा इस पद का भी इस्तेमाल कर सकती है। फिलहाल नई राज्यपाल के रूप में गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल की नियुक्ती की घोषणा ने भाजपा के दिग्गजों की चूलें हिला दी हैं।
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