बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक 2017
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर्ज के दबाव में फंसी कंपनियों के प्रवर्तकों को आस्वस्त करते हुए कहा कि उनके पुराने फंसे कर्ज एनपीए की समस्या का समाधान करने के लिये लाए गए नए दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून का मकसद उन्हें बाहर करना नहीं बल्कि कर्ज वसूली सुनिश्चित करने के साथ साथ उनका बचाव करना भी है।
कर्ज लेने वालों को बेहतर कर्ज संस्कृति विकसित करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘वह पुरानी व्यवस्था जिसमें कर्ज देने वाला कर्जदार का पीछा करते करते थक जाता था और आखिर में उसे कुछ हाथ नहीं लगता था अब समाप्त हो चुकी है। यदि कर्ज लेने वाले को व्यवसाय में बने रहना है तो उसे अपने कर्ज की किस्त-ब्याज को समय पर चुकाना होगा अन्यथा उसे दूसरे के लिए रास्ता छोड़ना होगा।’ जेटली देश के प्रमुख वाणिज्य और उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित एक बैठक को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘एनपीए समस्या के समाधान के पीछे वास्तविक उद्देश्य संपत्तियों को समाप्त करना नहीं है, बल्कि इन व्यवसायों को बचाना है। यह काम चाहे इन कंपनियों के मौजूदा प्रवर्तक खुद करें अथवा अपने साथ नया भागीदार जोड़कर करें या फिर नए उद्यमी आएं और यह सुनिश्चित करें कि इन मूल्यवान संपत्तियों को संरक्षित रखा जा सके।’
कर्ज वसूली सुनिश्चित करने वाले नए कानून को कर्जदाताओं को मजबूती देने वाले प्रावधान के रूप में देखा जा रहा है। बैंक और कर्ज देने वाली विभिन्न संस्थाएं 8 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज से जूझा रही हैं। समूचे फंसे कर्ज में अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ही 75 प्रतिशत तक राशि है।
उन्होंने नए दिवाला और शोधन अक्षमता कानून की जरूरत को बताते हुए कहा कि ऋण वसूली न्यायाधिकरणों के अपना काम प्रभावी तरीके से नहीं करने और उनके असफल रहने की वजह से यह कानून लाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रतिभूतिकरण और वित्तीय आस्तियों का पुनर्गठन एवं प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन सरफेसी कानून शुरू के दो तीन सालों के दौरान एनपीए को प्रभावी ढंग से नीचे लाने में सफल रहा था। लेकिन उसके बाद ऋण वसूली न्यायाधिकरण उतने प्रभावी नहीं रहे जितना समझा गया था, जिसकी वजह से नया कानूना लाना पड़ा।
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