अदालतें बोलती रहें दही हांडी तो फूटेगी

दही हांडी उत्सव तो जोर शोर से मनेगा.

दही हांडी उत्सव तो जोर शोर से मनेगा.
दही हांडी उत्सव तो जोर शोर से मनेगा.

चल समारोह के बीच इक्कीस स्थानों पर फूटेगी दही हांडी

भोपाल(पीआईसीएमपीडॉटकॉम)। दही हांडी उत्सव पर सख्ती के मुंबई हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से भले ही इंकार कर दिया हो पर मध्यप्रदेश के गोविंदा इसके बावजूद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहे हैं। राजधानी में हरिहर महोत्सव धार्मिक एवं सामाजिक संस्था समिति ने चल समारोह के साथ इक्कीस स्थानों पर दही हांडी फोड़ने का आयोजन किया है। इस तरह की कई अन्य संस्थाएं शहर भर में सैकड़ों स्थानों पर दही हांडी फोड़ने का आयोजन धूमधाम से कर रहीं हैं। दही हांडी उत्सवों में भाग लेने वाले गोविंदा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं,उनका कहना है कि हिंदु त्यौहारों को षड़यंत्र पूर्वक निशाना बनाया जा रहा है।

हिंदू त्यौहारों की परंपराओं में नया रंग भरने में जुटे समाजसेवी प्रमोद नेमा का कहना है कि पिछले कुछ सालों से हिंदू त्यौहारों पर तरह तरह के सवाल उठाने और रोक लगाने की प्रवृत्तियां बढ़ती जा रहीं हैं। लोग इन मुद्दों पर अदालतों में वाद दायर कर देते हैं और अदालतें भारतीय समाज की पृष्ठभूमि पर गौर किए बगैर फतवानुमा फैसले जारी कर देती है। उन्होंने कहा कि दही हांडी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अठारह साल से कम उम्र के बच्चों को इस उत्सव में भाग न लेने दिया जाए। जबकि उमंगों और उत्साह से भरे माहौल में गोविंदाओं के उम्र के प्रमाणपत्र नहीं जांचे जा सकते। श्री नेमा ने कहा कि इस आयोजन में पूरा ध्यान रखा जाता है कि गोविंदाओं को चोट न लगे। इसलिए दही हांडी भी कम ऊंचाई पर ही लटकाई जाती है, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट त्यौहार के अवसर पर रोक लगाकर लोगों को नाराजगी के लिए प्रेरित कर रहा है। उन्होंने कहा कि दही हांडी का उत्सव युवाओं में जोश भरने वाला होता है। इसके लिए बच्चे और युवा अखाड़ों में कसरत करते हैं। सामूहिक भाईचारा पैदा करने वाले इस आयोजन को रोकना कतई उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालती फैसलों से हिंदुओं के प्रति नकारात्मक माहौल बनाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की पहल अदालतों को ही करनी होगी।

श्री नेमा ने कहा कि भोपाल में दुर्गा उत्सव के समय झांकियों को ठंडा करने के लिए प्रेमपुरा घाट तय किया जा चुका है। वहां झांकियां विसर्जित करने से तालाब का पर्यावरण किसी भी तरह खराब नहीं होता है इसके बावजूद प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियां और उनके रंगों पर रोक लगाने की मुहिम चलाई जा रही है। जब उन मूर्तियों का विसर्जन तालाब में होना ही नहीं है तो फिर किस तरह पर्यावरण प्रभावित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम भी इसी शहर में रहते हैं और शहर का पर्यावरण न बिगड़े ये हम भी चाहते हैं। इसके बावजूद नेशनल ग्रीन टिब्यूनल जैसी संस्थाएं बेवजह हस्तक्षेप करती रहती हैं।

आज आयोजित पत्रकार वार्ता में आयोजन के संयोजक डॉ.अतुल कौशल, संयोजक मनोज राठौर, और समिति के अध्यक्ष संजय सिसोदिया ने बताया कि शोभायात्रा का पूरा मार्ग मथुरा वृंदावन की तर्ज पर सजाया जाएगा। 25 अगस्त गुरुवार को श्री जी मंदिर लखेरापुरा तिलकोत्सव और आरती के बाद भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान 21 प्रमुख चौराहों पर ग्वाल टोलियां मटकी फोड़ने और मक्खन लूटने का अद्भुत प्रदर्शन करेंगी।

शोभायात्रा में चार घोड़े वाले रथ में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन की झांकी, शंकर पार्वती का तांडव, नृत्य करती झांकी, भगवान विष्णु की झांकी, लड्डू गोपाल की पालकी, राधाकृष्ण मयूर झांकी के साथ ही धार्मिक कथाओं पर आधारित झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहेंगी।

भगवान श्री जी की शोभायात्रा में विभिन्न झांकियों के साथ उज्जैन, कुरावर, नरसिंहगढ़, और भोपाल की बैंड पार्टियों की धुनों पर गरबा करते कलाकार, बुरहानपुर की धमाल ढोल पार्टी और नाशा पार्टी, दुल दुल घोड़ी, डीजे के साथ इस्कान समूह के भक्तगण मंजीरे और मृदंग पर हरे रामा हरे कृष्णा के कीर्तन से भक्तिरस की गंगा बहाते हुए चलेंगे।

शोभायात्रा में बुंदेलखंड सागर और मंडला जिलों के लोक व आदिवासी नृत्य की मंडलियों के साथ मुखौटा नृत्य, मोर नृत्य, राजस्थानी नृत्य, फायर डांस, गरबा नृत्य आकर्षण का केन्द्र रहेंगे। शोभायात्रा मार्ग पर पड़ने वाले चौराहों पर दूध दही मक्खन से भरी मटकियां लगाई जाएंगी। जिन्हें बालकृष्ण और उनके सखा फोड़ते हुए चलेंगे। अनेकों स्थानों पर स्वागत द्वार बनाए जाएंगे। माताएं और बहनें भगवान श्री जी की पूजा अर्चना और पुष्पवर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत करेंगी।

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