एजेंसी नई दिल्ली 18 अगस्त।
सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके भागीदारों पर कंपनी के पूर्वी अपतटीय क्षेत्र केजी-डी6 से लक्ष्य से कम गैस उत्पादन होने पर 38 करोड़ डॉलर (करीब 2,500 करोड़ रुपये) का अतिरिक्त जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही इस परियोजना क्षेत्र को विकसित करने पर कंपनी के कुल 2.76 अरब डॉलर का दावा नामंजूर किया जा चुका है। इसका अर्थ है कि कंपनी इस परियोजना के तेल-गैस की बिक्री में से अब इतनी राशि की वसूली नहीं कर सकती है। कंपनी अप्रैल 2010 से लगातार पांच वित्तीय वर्षों में उत्पादन लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है।
केजी-डी6 क्षेत्र के आवंटन के समय किए गए उत्पादन भागीदारी अनुबंध (पीएससी) में यह व्यवस्था है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसकी भागीदारी कंपनियां ब्रिटेन की बीपी पीएलसी और कनाडा की नीको रिसोर्सिज तेल-गैस की खोज पर आए पूंजी और परिचालन खर्च को गैस की बिक्री से प्राप्त राशि से पूरा कर सकते हैं। उसके बाद ही वह मुनाफे को सरकार के साथ बांटेंगे। कंपनी के खर्च के उपरोक्त दावे नामंजूर होने से खनिज तेल-गैस मुनाफे में सरकार की हिस्सेदारी बढ़ेगी। वित्त वर्ष 2013-14 तक क्षेत्र में 2.376 अरब डॉलर की लागत को नामंजूर किया गया था जिसके परिणामस्वरूप सरकार की क्षेत्र के पेट्रोलियम मुनाफे में भागीदारी 19.53 करोड़ डॉलर बढ़ गई। रिलायंस के केजी-डी6 के धीरूभाई एक और तीन से गैस का उत्पादन आठ करोड़ घनमीटर प्रतिदिन होना चाहिए था लेकिन 2011-12 में यह 3.35 करोड़ घनमीटर प्रतिदिन, 2012-13 में 2.09 करोड़ घनमीटर, 2013-14 में 97 लाख घनमीटर और उसके बाद 80 लाख घनमीटर प्रतिदिन के स्तर पर रहा।
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