अपराधी का पीछा करेगा अब कंप्यूटर

अपराधी न्याय प्रणाली को फास्ट ट्रैक बनाने के लिये सीसीटीएनएस डिजिटल पुलिस पोर्टल का शुभारंभ

* दीपक राजदान

जैसे-जैसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं और अपराधी तकनीक का सहारा ले रहे हैं, ऐसे में राज्यों में कानून तोड़ने वालों को सजा दिलाने में पुलिस जांचकर्ताओं को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ता है। यद्यपि इस स्थिति में क्रान्तिकारी बदलाव आ रहा है। इस वर्ष अगस्त माह में भारत सरकार ने डिजिटल पुलिस पोर्टल का शुभारंभ किया, यह भारत सरकार के क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एण्ड सिस्टमस का एक अंग है। यह न केवल पुलिस अधिकारियों द्वारा अपराधियों को तेजी से पकडने में मदद करेगा बल्कि अपराध पीडि़त को समाधान की प्रक्रिया में भी ऑनलाइन मदद करेगा।

देश में अपराधों में बढ़ोतरी का ग्राफ बढ़ा है वर्ष 2014 में अपराधों की संख्‍या 28.51 लाख थी जो वर्ष 2015 में बढ़कर 29.49 लाख हो गई। केन्द्रीय गृह मंत्रालय की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट (2016-17) के अनुसार वर्ष 2011 में कुल उपलब्ध अपराध आंकड़ों में आईपीसी अपराधों का प्रतिशत हिस्सा 37.2 प्रतिशत था औऱ यह वर्ष 2015 में बढ़कर 40.3 प्रतिशत हो गया। अपराध दर में यह बढोत्तरी प्रति एक लाख जनसंख्या पर वर्ष 2012 में 497.9 से वर्ष 2015 में 581.8 हो गयी।

इस तरह की परिस्थितियों में विभिन्‍न सुविधाओं से युक्‍त डिजिटल पुलिस पोर्टल स्‍थि‍‍ति में परिवर्तन का परिचायक हो सकता है। सीसीटीएनएस पोर्टल जांचकर्ताओं को पूरे देश में किसी भी अपराधी के इतिहास की पूरी जानकारी देगा। गूगल टाइप एडवान्स सर्च इंजन से सुसज्जित एवं विश्लेषण जानकारी देने में सक्षम, यह पोर्टल देश की अपराधी न्याय प्रणाली का आधार साबित हो सकता है। राज्य पुलिस संगठनों और जाँच एजेंसी जैसे सीबीआई, आईबी, ईडी और एनआईए के लिए यह डिजिटल पुलिस पोर्टल, 11 सर्च और 44 रिपोर्ट की सुविधाओँ के साथ, अपराध और अपराधियों के राष्ट्रीय डेटाबेस उपलब्ध कराएगा। यह राष्ट्रीय सुरक्षा में सुधार लाएगा और देश में पुलिस की कार्यप्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। डिजिटल पोर्टल नागरिकों को एफआईआर दर्ज करने की ऑनलाइन सुविधा प्रदान करता है। प्रारंभिक रूप से 34 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में सात पब्लिक डिलीवरी सर्विसिज होंगी जैसे कर्मचारियों, किराएदारों, परिचारिकाओँ आदि के पते की पुष्टि, लोक कार्यक्रमों की मेजबानी की इजाजत, वस्तु और वाहन चोरी खोया और पाया आदि की जानकारी उपलब्‍ध होगी। यह पोर्टल अपराधिक जांच को पूरी तरह से नागरिक-मैत्री सेवा के रूप में बदल देगा। नागरिकों की रिपोर्टस और (अनुरोध), जांच कार्य के लिये बिना समय गंवाए सीधे राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की पुलिस को भेजे जा रहे हैं।

वर्ष 2004 में गृह मंत्रालय ने पुलिस स्टेशनों में स्टेन्ड अलोन आधार पर अपराधिक रिकॉर्डस का कम्पयूटरीकरण करने के उद्देश्य से, राज्‍य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की परियोजना (मार्डनाइजेशन ऑफ स्टेट पुलिस फोरसिस) (एमपीएफ) के एक भाग के रूप में कामन इन्टेगरेटीड पुलिस एप्लीकेशन (सीआईपीए) परियोजना की शुरूआत की। बाद में आपराधिक रिकॉर्डस के राष्ट्रीय डेटाबेस की आवश्यकता महसूस होने पर गृह मंत्रालय ने वर्ष 2009 में सीसीटीएनएस की शुरूआत, सभी पुलिस स्टेशनों को एक कामन एप्लीकेशन साफ्टवेयर के अऩ्तर्गत आपस में जोड़ने और जांच, नीति निर्धारण, डेटा विश्लेषण, अनुसंधान और नागरिक सेवाएं प्रदान करने की।

यह परियोजना राज्य पुलिस अधिकारियों को अपराध एवं अपराधियों के आंकड़ों को सीसीटीएनएस एप्लीकेशन में दर्ज करने का मंच प्रदान करती है। जिसे राज्य डेटा बेस के माध्यम से स्टेट डाटा सेन्टर, राष्ट्रीय आंकड़ों के लिए नेशनल डाटा सेन्टर से प्राप्त किया जा सकता है। इस परियोजना पर कुल मंजूर व्यय राशि दो हजार करोड़ रुपये है। केन्द्र सरकार राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को हार्डवेयर, सीसीटीएऩएस सॉफ्टवेयर, कनेक्टविटी, एकीकृत प्रणाली, परियोजना प्रबंधन एवं प्रशिक्षण प्रदान करती है। केन्द्र सरकार ने राज्यों को 1,450 करोड़ रुपये की राशि दी है जिसमें से 1,086 करोड़ रुपये राज्यों औऱ केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा व्‍यय किए जा चुके हैं।

वर्तमान में, इस योजना के अंतर्गत 15,398 पुलिस स्टेशनों में से 14,284 पुलिस स्टेशनों में सीसीटीएऩएस सॉफ्टवेयर लगाया गया है। 14,284 पुलिस स्टेशनों में से कुल 13,775 पुलिस स्टेशन इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए शतप्रतिशत एफआईआर दर्ज कर रहे हैं। 15,398 पुलिस स्टेशनों में से 13,439 पुलिस स्टेशन इस योजना में शामिल हैं। 15,398 पुलिस स्टेशनों में से 13,439 पुलिस स्टेशन इस योजना में शामिल है, यह पहले से ही जुड़े हुए हैं। अपराध और अपराधियों के रिकॉर्डस राज्य एवं राष्ट्रीय डेटा बेस से जुड़े हुए हैं। सीसीटीएनएस का प्रयोग करते हुए मार्च 2014 में 1.5 लाख से कम एफआईआर दर्ज हुई जो जून 2017 में बढ़कर 1.25 करोड़ हो गई। 34 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने प्रधान सेवाओं जैसे अपराध रिपोर्ट करना, सत्यापन का अनुरोध, कार्यक्रमों की अनुमति इत्यादि के लिए अपने राज्य नागरिक पोर्ट सेवाओँ की शुरूआत की है। 36 में से 35 राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश राष्ट्रीय अपराध औऱ अपराधिक डेटाबेस के साथ आंकड़े साझा कर रहे हैं। इस प्रणाली में अपराध औऱ अपराधिक आंकड़ों के 7 करोड़ रिकॉर्डस हैं जिसमें 2.5 करोड़ एफआईआर रिकॉर्ड्स औऱ संबद्ध आंकड़े शामिल है।

सीसीटीएनएस परियोजना का दायरा पुलिस आंकड़ों को अपराधिक न्याय प्रणाली के अऩ्य स्तंभो के साथ एकीकृत करने जैसे न्यायालय, जेल, अभियोग, पैरवी, फोरेंसिक और फ़िंगरप्रिंट्स और किशोर गृहों की पहुंच तक बढ़ाया गया है। इसी के अऩुसार एक नई प्रणाली – अंतर परिचालन आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) भी विकसित की गई है। आईसीजेएस प्रणाली का विकास वांछित डेटा पाने के लिए एडवांस सर्च सेवा के साथ एक डैशबोर्ड के रूप में किया गया है। इस आईसीजेएस परियोजना का संचालन एक कार्य समूह द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में किया गया है।

राज्य पुलिस संगठनों और सभी जांच एजेंसियों का डिजिटल पुलिस पोर्टल द्वारा सशक्तिकरण किया गया है। यह पोर्टल सीसीटीएनएस राष्ट्रीय डेटा बेस पर आधारित 11 सर्च और 44 रिपोर्ट प्रदान करता है। यह अग्रिम खोज (एडवांस सर्च) गहन खोज और विश्लेषणात्मक तकनीक से सज्जित है। यह प्रारंभिक खोज दो तरह से पूरी की जा सकती है। खोज के प्रथम चरण में सर्च प्रक्रिया पूर्ण दर्ज किए गए नाम को दिखायेगी (उदाहरणार्थ नाम एवं परिजन नाम) किन्तु जहां एक अथवा दोनों नाम हैं वही रिकॉर्ड देगा। सर्चिंग के द्वितीय चरण में यह आंशिक मेल के साथ रिकॉर्ड प्रदान करेगा और पूर्ण परिणाम भी उपलब्‍ध करायेगा।

पोर्टल पर विभिन्न प्रकार के फिल्टर्स उपलब्ध हैं जिनके माध्यम से आँकड़े छांटे जा सकते है और नजदीक लाए जा सके है। व्यक्ति के नाम, व्यक्ति एवं परिजन नाम, व्यक्ति एवं धारा/अनुच्छेद, निशुल्‍क आधारभूत खोज और दर्ज एफआईआर पर सटीक खोज, संख्या/मोबाइल नम्बर/इमेल के द्वारा सर्च पूरी की जा सकती है। यह सीसीटीएनएस पोर्टल जांचकर्ताओं को पूरे देश में किसी भी अपराधी के इतिहास की पूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।

यह सॉफ्टवेयर गूगल टाइम एडवांस सर्च इंजन और विश्लेषणात्मक रिपोर्ट्स प्रस्तुत करता है। अभी हाल ही में इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग तमिलनाडु की कुछ मानसिक रूप से विकसित महिलाओं को ढूंढने के लिए उत्तराखंड में किया गया और उन्हें उनके परिवार से मिलाया गया। बाद में इस सीसीटीएनएस डेटाबेस को वाहन पंजीकरण के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय डेटाबेस से जोड़ा जाएगा।

डिजिटल पुलिस पोर्टल की शुरूआत के बाद से नागरिकों ने पोर्टल पर शिकायतें दर्ज करना शुरु कर दिया है। यह डिजिटल पुलिस पोर्टल दोस्ताना रूप में नागरिक-केंद्रित सेवाओं को सुगम रूप से उपलब्‍ध कराने के लिए सरकार की मदद कर रहा है जो आज के आधुनिक कल्याणकारी राज्य की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

* श्री दीपक राजदान एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और वर्तमान में द स्टेट्समैन, नई दिल्ली में संपादकीय सलाहकार हैं। इस आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं।

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