डंपर कांड के विधिक सलाहकार तनखा को लोकायुक्त की नियुक्ति गलत नजर आई


सरकार को घेरने में जुटी कांग्रेस की लाबी की करारी शिकस्त
भोपाल 17 अक्टूबर, (पीआईसीएमपीडॉटकॉम)। डंपर खरीदी कांड में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को क्लीनचिट दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले हाईकोर्ट के वकील विवेक तनखा को अब नए लोकायुक्त जस्टिस नरेश गुप्ता की नियुक्ति गलत नजर आ रही है। विशेष कृपा से राज्यसभा सांसद बने विवेक तनखा का कहना है कि सरकार ने नैतिक आधार पर ये फैसला गलत लिया है।उनका कहना है कि नए लोकायुक्त महोदय वर्तमान उपलोकायुक्त जस्टिस माहेश्वरी से छह साल जूनियर हैं इसलिए ये फैसला न्यायपालिका की मान्य परंपराओं के विपरीत है।

सामान्य प्रशासन विभाग ने बाकायदा अधिसूचना जारी करके जस्टिस नरेश गुप्ता की नियुक्ति की घोषणा कर दी है। वे दीवाली से एक दिन पहले कल अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे।जस्टिस गुप्ता 2010 में मप्र हाईकोर्ट में न्यायाधीश बने थे।जनवरी 2016 में उनका तबादला ग्वालियर कर दिया गया। वे 30 जून 2017 को रिटायर हुए थे।

जस्टिस गुप्ता की नियुक्ति पर सबसे पहले राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के राष्ट्रीय विधि प्रकोष्ठ से जुड़े विवेक तनखा ने ट्वीट करके कहा कि सरकार ने रातोंरात लोकायुक्त बनाकर विधि के मान्य सिद्धांतों को तोड़ा है।उन्होंने नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की चुप्पी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बताया कि उन्होंने लगभग सवा साल से खाली पड़े लोकायुक्त पद को भरने के लिए सरकार को पत्र लिखा था। इसके जवाब में सरकार ने उन्हें सूचित किया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के माननीय चीफ जस्टिस ने लोकायुक्त पद के लिए जस्टिस नरेश गुप्ता का नाम भेजा है। जाहिर है विपक्ष के नेता होने के नाते मैंने उसका अनुमोदन कर दिया।

जस्टिस गुप्ता की नियुक्ति पर सवाल उठाने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि लोकायुक्त की नियुक्ति को पहले कैबिनेट से मंजूरी ली जानी थी। बाद में इसे राज्यपाल के पास भेजा जाना था। लेकिन सरकार ने प्रस्ताव को सीधे राज्यपाल के पास भेज दिया। उनका सवाल है कि सरकार यह बताए कि आखिर ऐसी कौन सी जल्दी थी जो सरकार ने नियुक्ति का प्रस्ताव सीधे राज्यपाल को भेज दिया। जब सवा साल से पद खाली था तो कुछ दिन और इंतजार किया जा सकता था।हालांकि जब उनसे पूछा गया कि प्रक्रिया को छोड़कर इस नियुक्ति में गलत क्या है। इसके जवाब में उन्होंने चुप्पी साध ली।

दरअसल ये मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वकीलों और कांग्रेस समर्थित जजों की लॉबी से जुड़ा है। विवेक तनखा लंबे समय से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसलों में दबदबा बनाए रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों के विधि सलाहकारों के हित साधने में उन्हें महारथ हासिल है। इस बात का जस्टिस नरेश गुप्ता लंबे समय से विरोध करते रहे हैं। न्यायपालिका ने टकराव टालने के लिए ही उन्हें जबलपुर बेंच से हटाकर ग्वालियर भेज दिया था। सूत्रों का कहना है कि उप लोकायुक्त जस्टिस यू सी माहेश्वरी ने सवा साल में लगभग सौ मामलों पर स्वतः संज्ञान लेकर प्राथमिक जांच शुरु कराई थी। बाद में जब उन्हें पता लगा कि ये मामले बाकायदा षड़यंत्र पूर्वक लोकायुक्त संगठन को भेजे गए हैं तो उन्होंने उन मामलों की फाईलें ठंडे बस्ते में डाल दीं। इसी को लेकर तनखा की लॉबी लंबे समय से जस्टिस यू सी माहेश्वरी पर फैसले न लेने के आरोप लगा रही थी। उप लोकायुक्त के माध्यम से अपना राजनीतिक हित साधने में जुटे तनखा और उनके सहयोगियों का कहना है कि पूर्व लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर ने अपने पूरे कार्यकाल में नौ मामलों में स्वतः संज्ञान लेकर जांच शुरु कराई थी जबकि उप लोकायुक्त यूसी माहेश्वरी ने सौ मामलों को संज्ञान में लेकर जांच शुरु कराई पर उन्हें लंबित कर दिया।

अब जबकि सरकार ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सिफारिश पर अमल करते हुए जस्टिस गुप्ता की नियुक्ति की प्रक्रिया आनन फानन में पूरी कर ली तो इससे सरकार को घेरने में जुटी तनखा की लॉबी बौखला गई है। उसका मानना है कि इतने लंबे समय तक लोकायुक्त नियुक्त न होने के दौरान विवेक तनखा की लॉबी ने जो मामले लोकायुक्त संगठन में भेजे उनसे कांग्रेस की रणनीति तो उजागर हो गई है लेकिन उनके लंबित रहने से सरकार को घेरने का उनका मकसद कामयाब नहीं हो सका है। इसे सरकार के संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का मास्टर स्ट्रोक भी कहा जा रहा है। जस्टिस गुप्ता की नियुक्ति के बाद भ्रष्टाचार के मामलों पर फैसले लेने में तेजी आएगी और लंबित पड़े मामलों का निराकरण जल्दी हो जाएगा। इससे लंबे समय से लोकायुक्त संगठन में रहकर सरकार के विरोध में षड़यंत्र कर रहे जजों और अफसरों की भी भूमिका उजागर हो गई है। इससे लोकायुक्त संगठन में अब बड़े बदलावों की भी संभावना व्यक्त की जाने लगी है।

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