पिता ने सौंपी विरासत तो खैरात नहीं बांट सकतेःगौतम सिंघानिया

मुंबई(पीआईसीएमपीडॉटकॉम)। देश के स्थापित सूट ब्रांड रेमंड के मालिक गौतम सिंघानिया का जो पक्ष देश के सामने आया है उससे उनके पिता विजयपत सिंघानिया की सनक उजागर हो गई है। वे कंपनी के मालिकाना हक वाले जेके हाऊस को प्रमोटर के हाथों कौड़ियों के मोल बेचना चाह रहे हैं। इस प्रस्ताव के खिलाफ गौतम कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। मुंबई हाईकोर्ट ने उन्हें ये मामला अदालत से बाहर सुलझाने की सलाह दी है।

गौतम ने पिता के उस दावे को खारिज किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि बेटे के प्यार में आकर उन्होंने गलती से अपने 37.17 प्रतिशत शेयर बेटे को गिफ्ट कर दिए थे। इन शेयरों की कीमत बाजार में लगभग 1000 करोड़ रुपए है।गौतम सिंघानिया ने मीडिया को बताया कि ये शेयर फरवरी 2015 में ट्रांसफर हुए थे। पैंतीस सालों के लंबे प्रयासों के दौरान ये हिस्सा उन्होंने कंपनी के लिए काम करके कमाया था। गौतम अपने पिता के कारोबार में साथ देने वाले अकेले बेटे थे। इसलिए पिता ने उन्हें ये भागीदारी सौंपी। बातचीत में 52 साल के गौतम सिंघानिया ने कहा कि 35 सालों तक लगातार 16 घंटे काम करके उन्होंने कंपनी को संवारा है इसलिए परिवार में पहले ही ये बात तय थी कि पिता की विरासत बेटा संभालेगा। उन्होंने अपना स्टेक बेटे को देकर अपना कर्तव्य निभाया। इसके लिए कोई जोर जबरदस्ती तो थी नहीं। अगर पिता अपना स्टेक किसी और को देते तो कंपनी के 35000 कर्मचारियों का भविष्य बिगड़ सकता था। पिता ने शेयर सौंपे तो इसके बाद मैं या पिता कोई भी मनमाने ढंग से खैरात नहीं बांट सकते, इसके लिए कंपनी के शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है।

रेमंड के सीएमडी ने कहा कि 2015 में पिता के हाथों कंपनी का स्टेक मिलने के बाद उन्हें कारोबार में प्रोफेशनलों को शामिल करने, सलाहकार बोर्ड बनाने जैसे कई फैसले लेने में सरलता होने लगी। ढाई साल पहले पिता से शेयर होल्डिंग कंट्रोल लेते ही मेरे लिए खेल बदल गया। ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए मैंने कई फैसले लिए।इसके बाद से कंपनी का शेयर 50 फीसदी तक चढ़ चुका है। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स केवल 12 फीसदी बढ़ा है जबकि रेमंड के शेयरों का सुधार इससे कई गुना ज्यादा हुआ।

पिता की बदहाली पर उन्होंने कहा कि नारियल का पेड़ तूफान में झुक जाता है पर दूसरे दरख्त नहीं झुकते इसलिए टूट जाते हैं। उन्होंने कहा कि रेमंड ने अपने अगले बीस सालों की रणनीति बनाई है। लोग इस ब्रांड को अपने नए अवतार में देख रहे हैं। कंपनी में कार्पोरेट गवर्निंग को बढ़ावा मिला है। राजनीतिक फैसलों के चलते कंपनी के बहुत से कामकाज नहीं हो पाते हैं, पर अब माहौल बदल गया है। उन्होंने कहा कि वे अपने शेयर होल्डर्स को अधिकतम फायदा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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