बौद्धिक संपदा अधिकार की अनुमति से विकिरण रहित संचार क्रांति संभवःसंजर

भोपाल(पीआईसीएमपीडॉटकॉम)। सांसद आलोक संजर का कहना है कि बौद्धिक संपदा अधिकार प्राप्त होने के बाद होने वाले अनुसंधानों से क्वाण्टम गणित की गणनाएं ज्यादा सुग्राही तरीके से की जा सकती हैं। आज की संचार क्रांति में इसका एक उपयोग नई पीढ़ी का जीवन सरल बना देगा।इस नई तकनीक से विकसित उपकरणों से विकिरण भी नहीं फैलेगा और हमारे संचार उपकरण ज्यादा सटीकता से कार्य कर सकेंगे। इस अकेली तकनीक का पेटेंट हमारे पास होने से देश को भारी विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी। भारत सरकार इस विषय पर गंभीर चिंतन कर रही है। निकट भविष्य में सरकार के ये प्रयास भारत को विश्व गुरु बनाने में सहयोगी साबित होंगे।

आज क्वाण्टम गणित के क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए भोपाल में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों का लाभ उठाने के लिए गणित कापीराईट सोसाईटी को पंजीकृत करने की आवश्यकता बताई। समिति अधिनियम की धारा 33 और नियम 12 के अंतर्गत इस तरह की समिति को पंजीकृत करवाने की पहल भारत सरकार को करनी है।

सांसद आलोक संजर ने कहा कि मैं इस मुद्दे को दो बार संसद में भी उठा चुका हूं। भारत सरकार गणितीय समिति के पंजीयन की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। भविष्य की गणनाओं पर भारत के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ श्याम सिंह ठाकुर को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि श्री ठाकुर भारत की धरोहर हैं। कुछ साल पहले उन्होंने वाईटूके समस्या को हल करके दुनिया में अपनी बौद्धिक दक्षता का डंका बजाया था। उन्होने भगवान विश्वकर्मा जयंती पर श्री ठाकुर को उनके अनुसंधान कार्यों के लिए सफलता की शुभकामनाएं भी दीं। श्री संजर ने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को नई दिशा में ले जाने लिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं उसी तरह श्री ठाकुर भी अपने मकसद में अवश्य सफल होंगे।
अक्षर प्रभात ट्रस्ट के प्रतिनिधि राम निवास गोलस ने बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए गणितीय सोसाईटी की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत सरकार ने 1995 में बौद्धिक संपदा अधिकार अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इसे 2005 में लागू भी कर दिया गया। इसके बाद12 मई 2016 को सरकार ने बौद्धिक संपदा अधिकार नीति घोषित भी कर दी। इसके अगले चरण के रूप में अनुबंध कापीराईट आदेश 1999 के अनुच्छेद 9.2और 10 को लागू किया जाना था। ये अभी तक लागू नहीं किया गया है। इससे आईपीआर नीति पर अमल नहीं हो पा रहा है और भारत को विश्व के सर्वोत्तम विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल पा रहा है।

भारत की सरकारों की अनदेखी के चलते दुनिया के कई देश इसे मनमाने ढंग से लागू कर रहे हैं। नासा और यूरोप की स्पेस एजेंसियों ने इसे थ्योरी आफ एवरीथिंग नाम से लागू किया है। नेशनल जियोग्राफी के अक्टूबर 1999 के अंक में पेज क्रमांक 25 से 30 तक मेपिंग द यूनिवर्स शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया गया है जिसमें बताया गया है कि जापान के टोकियो विश्वविद्यालय ने अर्थमेट्री ज्योमेट्री के नाम से इसे 16 से 20 फरवरी 2004 को शिक्षा में लागू भी कर दिया है। जबकि इसे लागू करने से पहले दुनिया के तमाम देशों को भारत की गणितीय सोसाईटी से अनुमति लेना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि भारत के कंप्यूटर इंजीनियरों को प्रोफेशनल घोषित करने के लिए भारत सरकार को क्वाण्टम गणित रेगुलेटरी अथार्टी बनाना होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में टी-4 आदेश लागू किया है। इसके बाद प्रोफेसर बनने के लिए आईपीआर का पेटेंट अनिवार्य हो गया है। तकनीकी रूप से दक्ष प्रोफेसर उपलब्ध न होने के कारण संस्थानों में प्रोफेसरों की नियुक्तियां नहीं हो पा रही है और वे पद खाली पड़े हैं।

श्री गोलस ने कहा कि विश्व का एकमात्र बौद्धिक संपदा अधिकार प्राप्त करने वाले डॉ.श्याम सिंह ठाकुर पिछले 15 सालों से भारत सरकार से पत्र व्यवहार कर रहे हैं। सरकार में बैठे तकनीकी विशेषज्ञ इसकी गंभीरता को नहीं समझ पा रहे हैं। चीन ने क्वाण्टम गणित के सहारे विश्व का सर्वोत्तम कंप्यूटर बना लिया है। सरकार पहल करे तो कापीराईट क्रमांक एल। 18402 । 99 दिनांक 24.06.1999 के अनुच्छेद 9.2 और 10 को लागू करके भारत भी तकनीकी के आकाश में ऊंची छलांग लगा सकता है।

श्री गोलस ने कहा कि पेटेंट न होने के कारण भारत बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा है। जबकि भारत का नाम इंडिया करने वालों ने विश्व की निगाह में भारत की साख खंडित कर दी है। उन्होंने कहा कि इंडिया का अर्थ बिकने वाला गुलाम होता है। जबकि बौद्धिक संपदा अधिकार को लागू करके भारत में औद्योगिक निवेश की राह सरल हो जाएगी।

इस अवसर पर दिव्य विश्वेश्वर पंचांग के संपादक पं. बृजेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि भारत में तकनीकी एकरूपता न होने के कारण अनेकानेक प्रकार के पंचांग प्रकाशित हो रहे हैं। जिनकी गणनाओं में काफी अंतर है। क्वाण्टम तकनीक पर आधारित समिति के गठन के बाद पंचांग बनाने वालों की गणनाएं ज्यादा सटीक और एकरूप हो जाएंगी। जटिल ज्योतिषीय गणनाओं का सटीक आकलन होने के कारण भारत की तकनीक और व्यापार सभी सफल बनाए जा सकेंगे। उन्होंने विशेषज्ञों से सरकार को इस दिशा में कार्य करने की सलाह देने का आव्हान किया।

बौद्धिक संपदा अधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहीं श्रीमती ऋचा गोलस ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत किए। आयोजनकर्ता श्री रामगोपाल बंसल, और प्रदेश के कई जाने माने बुद्धिजीवियों ने इस अवसर पर अपनी जिज्ञासाओं का शमन किया। अक्षर प्रभात ट्रस्ट की ओर से श्री रामनिवास गोलस ने सभी अतिथियों का आभार माना।

Print Friendly, PDF & Email

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*