किसान आंदोलन में फूट के बीच हड़ताल वापिसी का ऐलान

भोपाल, पीआईसीएमपीडॉटकॉम। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के आव्हान पर प्रदेश भर में चल रहे किसान आंदोलन में आज फूट पड़ गई। सरकार समर्थित भारतीय किसान संघ ने आज उज्जैन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हुई चर्चा के बाद आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी। संघ का कहना है कि सरकार ने किसानों की अधिकांश मांगें वापस ले लीं हैं इसलिए हम हड़ताल समाप्त कर रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने अपनी पूर्व घोषित रणनीति के अनुसार दस जून तक हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया है।आज इसी श्रंखला में देवास में रैली भी निकाली गई।जन न्याय दल ने कहा है कि बगैर सोचे समझे किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार ने जो फैसले किए हैं उससे जनता की गाढ़ी कमाई बर्बाद होने का खतरा बढ़ गया है।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने कहा कि किसानों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की असलियत अब उजागर हो गई है इसलिए पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार किसानों का आंदोलन दस जून तक विधिवत चलता रहेगा। उन्होंने कहा हम खुशहाली के दो आयाम, ऋण मुक्ति और पूरा दाम का नारा लेकर इस आंदोलन में उतरें हैं। आंदोलन पर जाने का फैसला हमारा था। न तो हमने सरकार से कोई बात की है और न ही सरकार ने हमसे संपर्क करने की पहल की है। इसलिए हम किसानों की मूलभूत मांगों के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह सत्ता में आने पर किसानों के 44 हजार करोड़ के कर्जे माफ करेंगे। लागत के आधार पर किसानों को उनकी फसलों का पचास फीसदी लाभकारी मूल्य देंगे। सत्ता में आने के बाद वह अपने वायदों से मुकर रही है। शिव कुमार शर्मा ने कहा कि केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार किसान विरोधी सरकार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आते से ही धान और गेहूँ पर मिलने वाला बोनस समाप्त कर दिया, किसान विरोधी जमीन विधेयक लाये, किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज बढ़ाया, 18 बार कपास निर्यात को रोका जिससे घरेलू कपास उत्पादक किसानों की कमर टूट गई। मोजाम्बिक से तुअर दाल, ऑस्ट्रेलिया से गेहूँ और आलू मंगवाकर देश के किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से गन्ना उत्पादक किसानों का बकाया न होने की बात कही जो पूरी तरह से झूठी सिद्ध हुई है।शिव कुमार शर्मा ने देश के सभी किसानों को कर्ज से मुक्त करने और लागत से डेढ़ गुना अधिक मूल्य पर समस्त कृषि उपजों को खरीदने की माँग की है।
उन्होंने कहा कि जब देश के उद्योगपतियों के कर्ज माफ किये जा सकते हैं, विभिन्न प्रकार के करों में छूट दी जा सकती है, विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिये बड़ी राशि खर्च की जा सकती हैं, तब सभी किसानों को कर्ज से मुक्ति क्यों नहीं दी जा सकती? उन्होंने प्रश्न किया कि उद्योगपतियों और किसानों के लिए यह दोहरा मापदण्ड क्यों?
श्री शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद से ही पूरे देश में सिर्फ किसान को ही उसके उत्पादन का मूल्य तय करने का अधिकार नहीं देकर केन्द्र सरकार ने किसानों को कर्ज में डुबोकर दिन-प्रतिदिन तिल-तिल करके मरने के लिये छोड़ दिया है। यही एकमात्र कारण है कि देश के किसान प्रतिदिन आत्महत्या करने पर मजबूर हैं।

यदि केन्द्र सरकार किसानों के समस्त कर्जों से ऋण मुक्त करती है और लागत मूल्य से डेढ़ गुना अधिक लाभकारी मूल्य देती है तो किसानों की आत्महत्या का दौर समाप्त हो जायेगा।
राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक और राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी ने बताया कि केन्द्र सरकार को समस्त कृषि और उद्यानिकी से सम्बन्धित उपजों का लाभकारी मूल्य किसानों को देना चाहिये। साथ ही केन्द्र सरकार इन्हें क्रय करने की गारंटी भी दे।
श्री शर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार वर्ष 2006 में देश के प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक पद्मविभूषण प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा तैयार पाँचवी और अन्तिम संशोधित राष्ट्रीय किसान नीति की अनुशंसाओं को लागू करे।

केन्द्र सरकार किसान पेंशन योजना लेकर आये जिसमें किसान परिवार के मुखिया को 55 वर्ष की आयु से पेंशन के रूप में प्रति माह एक निश्चित राशि मिलना प्रारम्भ हो सके। किसानों के हित में नया भू-अर्जन कानून बनाया जाये। किसानों की भूमि को आरक्षित करें। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण तथा विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र हेतु कृषि योग्य भूमि अधिग्रहित नहीं की जाये। इसके लिये गैर-कृषि भूमि और बंजर भूमि ही अधिग्रहित की जाये। भू-अधिग्रहण के साथ ही पुनर्वास और पुनःस्थापन को जोड़ा जाये।

उधर भारतीय किसान संघ के शिवकांत दीक्षित ने घोषणा की है कि सरकार ने उनकी सभी बातें मान लीं हैं इसलिए इस आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार किसान हितैषी सरकार है। वह सदैव किसानों के कल्याण के लिए कार्य करती है इसलिए किसान अब आंदोलन वापस ले लें।

उन्होंने कहा कि सरकार की पहल प र अब कृषि उपज मंडी में बेचे जाने वाले उत्पादों की पचास फीसदी रकम तत्काल किसानों के बैंक खातों में पहुंच जाएगी। गर्मी में होने वाली मूंग की फसल को सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। किसानों से प्याज की खरीदी पिछले साल की तरह होगी। सरकार अगले तीन चार दिनों में किसानों से आठ रुपए मूल्य पर प्याज खरीदेगी। सब्जी मंडियों को मंडी अधिनियम के दायरे में लाया जाएगा ताकि किसानों को अधिक आढ़त न देना पड़े। किसानों के लिए फसल बीमा योजना की अनिवार्यता को अब ऐच्छिक बना दिया जाएगा। नगर एवं ग्राम निवेश एक्ट में जो भी किसान विरोधी प्रावधान होंगे उन्हें हटा दिया जाएगा। आंदोलन रत किसानों पर दर्ज प्रकरण समाप्त कर दिए जाएंगे। सरकार की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इन आश्वासनों के बाद आज भारतीय किसान संघ ने अपने पदाधिकारियों को आंदोलन शांत करने के निर्देश दिए हैं।

किसानों के पक्ष में सरकार के इन फैसलों पर मिली जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रहीं हैं। जन न्याय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बृज बिहारी चौरसिया ने कहा है कि किसान आंदोलन सरकार की नाकामी का जीता जागता प्रमाण है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकारी मशीनरी पर अपना नियंत्रण खो चुके हैं इसलिए उन्हें सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। श्री चौरसिया ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं जनता के बीच कड़ी धूप में दौरे करते हैं जबकि उनके अफसर वातानुकूलित कक्षों से बाहर नहीं निकलते हैं। किसान कल्याण की राशि से विदेश यात्राएं करके अफसर गुलछर्रे उड़ा रहे हैं। कृषि पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। कितने रकबे पर कितनी फसल कैसे बोई जाएगी सरकार इसका आकलन नहीं कर पाती है। यही वजह है कि गैर जरूरी जिंसों की खेती धड़ल्ले से हो रही है जबकि जरूरी फसलें नहीं बोई जा रहीं हैं।

सरकार कृषि कैलेन्डर का पालन नहीं करा पा रही है इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य तक नहीं मिल पा रहा है। थोथे नारों से सरकार किसानों को बहला रही है जबकि लागत मूल्य तक न मिल पाने के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। पिछली साल भी सरकार ने प्याज की खरीदी पर जनता की गाढ़ी कमाई के चार सौ करोड़ रुपए पानी की तरह बहा दिए थे। इस बार भी प्याज के भंडारण और वितरण की व्यवस्था नहीं की गई है और बगैर सोचे समझे किसानों की उपज खरीदने का पाखंड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन से जनता में भय व्याप्त है और व्यापारी जमाखोरी में लिप्त हैं।

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