बीड़ी मजदूरों की भी पंचायत होः शैलेन्द्र जैन


भोपाल, 08 मार्च। सागर विधानसभा क्षेत्र के विधायक शैलेन्द्र जैन ने आज श्रम विभाग के बजट पर चलने वाली चर्चा में कहा कि मैं जिस क्षेत्र से आता हूं वहां पर बीड़ी श्रमिकों की 33 हजार की संख्या है पूरे जिले में 66 हजार बीड़ी श्रमिक हैं. प्रदेश में अनेक तरह की पंचायतें हुईं उनके माध्यम से उनकी समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम हुआ है, लेकिन बीड़ी श्रमिकों की पंचायत घोषणा करने के बाद भी अभी तक नहीं हो पाई है.

         उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि कम लागत में अधिकतम लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. यह संसार में अगर कोई कर सकता है तो बीड़ी उद्योग है. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि यह पंचायत बुलायी जाये. बीड़ी श्रमिकों की प्रदेश में बहुत अधिक संख्या है उनका कोई सम्मेलन यहां भोपाल में बुलाया जाये, यह उचित नहीं होगा. उनकी पंचायत सागर में या और कहीं पर की जाए जहां पर उनकी संख्या बहुत अधिक हो तो उसका लाभ बीड़ी श्रमिकों को होगा.

         श्री जैन ने कहा कि अभी तक बीड़ी श्रमिकों के आवास के लिये शासन ने 40 हजार रूपये के अनुदान की व्यवस्था की थी,हालांकि उस योजना में केन्द्र का योगदान बहुत ज्यादा है उसको बढ़ाकर के डेढ़ लाख रूपये प्रति हितग्राही कर दिया गया है. मैं इस बात के लिये केन्द्र सरकार एवं मध्यप्रदेश की सरकार को बधाई देना चाहता हूं. यह बीड़ी श्रमिकों के हित में एक अच्छा कदम है, लेकिन मैं यह मानता हूं कि अभी भी महंगाई के दौर में डेढ़ लाख रूपये कम है. हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में देखा कि इस तरह के हितग्राहियों के लिये ढाई लाख रूपये की योजना है. वह व्यक्ति जो संनिर्माण कर्मकार मण्डल रजिस्टर्ड हैं उनको लगभग साढ़े तीन लाख रूपये अनुदान देने की व्यवस्था है तो मैं समझता हूं कि बीड़ी श्रमिकों के लिये डेढ़ लाख रूपये की जो राशि है वह कम है उसको बढ़ाकर के कम से कम 2 लाख रूपये किया जाये.

उन्होंने कहा कि सागर में एक बीड़ी कामगार अस्पताल है वह काफी पुराना है, लेकिन यह देखने में आया है कि उस अस्पताल में इन्डोर पेशन्ट की भर्ती करने की व्यवस्था नहीं है जिसके चलते बीड़ी श्रमिक काफी परेशान होते हैं. वहां ओपीडी की संख्या तो अच्छी हो रही है, लेकिन एडमीशन कम हो पाते हैं. वह इस दिशा में काम करें. वहां स्वस्थ्य संबंधी उपकरणों की निहायत कमी है जांच कराने के लिए श्रमिकों को बाहर की अस्पतालों में तथा शासकीय अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है. बीड़ी श्रमिकों के हित में अगर अस्पतालों के उन्नयन काम करेंगे तो बहुत अच्छा होगा.

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