गृहमंत्री की जिद से जेल महकमे में कोहराम

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बंटी बबली की जोड़ी के सामने आईपीएस लाबी ने घुटने टेके
-आलोक सिंघई-
भोपाल,7 दिसंबर। गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह और जेल मंत्री सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले के बीच ठनी रार ने जेल महकमे के अफसरों में असमंजस के हालात बना दिए हैं। भोपाल की केन्द्रीय जेल से सिमी आतंकवादियों कीफरारी और मुठभेड़ में उनके सफाए के बाद से कोई अधिकारी सरकार का उचित मार्गदर्शन करना नहीं चाह रहा है। नतीजतन पूरे महकमे में अफरातफरी मच गई है। गृहमंत्री के बाल सखा और उज्जैन केन्द्रीय जेल के अधीक्षक गोपाल ताम्रकार ने कुछ ऐसा ताना बाना बुना है कि विभाग के आला अफसर भी खुद को लाचार महसूस कर रहे हैं। उनकी हालत सांप छछूंदर की तरह हो गई है शासन का आदेश मानते हैं तो गृहमंत्री नाराज और गृहमंत्री की बात मानते हैं तो जेल मंत्री नाराज। इस करामात की असली वजह भोपाल जेल टूटने के बाद हटाए गए जेल डीजी सुशोभन बैनर्जी और उनकी सहेली अफसर ( बंटी बबली की जोड़ी )बताए जा रहे हैं।
शिवराज सिंह सरकार की असफलताओं की फेरहिस्त जैसे जैसे खुलती जा रही है वैसे ही कई विभागों से तरह तरह की कहानियां सामने आती जा रहीं हैं। ग्यारह साल पूरे करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तरह तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से खुद की पीठ ठोकते नजर आ रहे हैं लेकिन उन्होंने चपरासीनुमा जिन भ्रष्ट अफसरों को अपना सलाहकार बना रखा है उनकी कारस्तानियां अब छप्पर फाड़कर सिर उठाने लगीं हैं। भाजपा की सरकार में शिवराज सिंह चौहान के ग्यारह साल पूरे होने पर उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी ही तरह तरह के मामलों से सरकार की नींव हिलाने में जुट गए हैं। अब जैसे शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाने वाले गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने जेल विभाग की मंत्री सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले को खुली चुनौती दे डाली है। जेल गोलीकांड के बाद चैतन्य हुए राज्य शासन के प्रमुख सचिव विनोद चंद्र सेमवाल ने जेल मुख्यालय में काम का बोझ संभालने के लिए डीआईजी पद पर प्रमोशन पाने वाले उज्जैन के जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार को मुख्यालय में पदस्थ किया है। लगभग डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी ताम्रकार अपनी कुर्सी छोड़ने को राजी नहीं हैं।शासन के आदेश का पालन इसलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि ताम्रकार गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह के साथ पढ़े हैं। उन्होंने हटाए गए जेल डीजी सुशोभन बैनर्जी से एक आदेश जारी करवा लिया कि आगामी आदेश तक वे अपने ही पद पर बने रहें। जबकि शासन के आदेश के समर्थन में जेल मंत्री सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले ने भी निर्देश जारी करके श्री ताम्रकार को भोपाल मुख्यालय में आमद देने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद श्री ताम्रकार टक के मस होने को तैयार नहीं हैं। उनकी जगह जेल अधीक्षक सुश्री ऊषा राज उज्जैन पहुंच चुकी हैं लेकिन श्री ताम्रकार उन्हें पदभार सौंपने तैयार नहीं हैं।यही नहीं स्थानीय अखबारों में उन्होंने हटाए गए जेल डीजी सुशोभन बैनर्जी के पत्र के माध्यम से खबर भी छपवाई कि मुख्यालय ने शासन के तबादला आदेश को निरस्त कर दिया है।
इस मामले में जेल महानिदेशक संजय चौधरी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने उन्हें फोन करके श्री ताम्रकार को उज्जैन में ही पदस्थ रखने के निर्देश दिए हैं। जेल विभाग में पदस्थ आईजी सुधीर शाही भी इस मामले में कोई बात करने तैयार नहीं हैं। उन्होंने हाल ही में उज्जैन जेल का निरीक्षण भी किया था और कार्यभार संभालने पहुंची ऊषा राज को सभी जेलों के निरीक्षण के निर्देश भी जारी किए थे। उन्होंने उज्जैन जेल से निरीक्षण के लिए उन्हें वाहन भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। जेल विभाग में पदस्थ डीआईजी प्रशासन संजय पांडे के पास काम का बोझ इतना अधिक बढ़ गया है कि उन्हें अपना काम निपटाने के लिए देर रात तक दफ्तर में रुकना पड़ रहा है। इसकी जानकारी जेल मंत्री को भी दी जा चुकी है लेकिन मंत्री जी अपने ही सहयोगी गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह को नीचा दिखाने से बच रहीं हैं। हालांकि उन्होंने अपने विभाग के आला अफसरों से आदेशों का पालन न होने पर नाराजगी भी जताई है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि यदि उनके ही विभाग का अफसर आदेशों का पालन नहीं करेगा तो अंततः उन्हें अपने विशेषाधिकार का उपयोग करके उसे दंडित करना पड़ेगा।
जेल महकमे को चकर घिन्नी बनाने वाली सतना की जेल अधीक्षक सुश्री शेफाली तिवारी ने इस काम के लिए कथित तौर पर हटाए गए जेल डीजी सुशोभन बैनर्जी को अपना हथियार बनाया है। भोपाल जेल ब्रेक कांड में भी इसी बंटी बबली की जोड़ी की करतूतें धीरे धीरे प्रशासन के सामने आती जा रहीं हैं। इनकी करीबी की कहानियां पूरे जेल महकमें में कुख्याति की तरह फैली हुई हैं। जेल मंत्री सुश्री कुसुम मेहदेले के निवास पर कभी याचक की तरह खड़े रहकर सुशोभन बैनर्जी ने शेफाली तिवारी को सतना का जेल अधीक्षक बनवाया था। अब जबकि सुशोभन बैनर्जी हटा दिए गए हैं तब उनके ही कृपा पात्र रहे गोपाल ताम्रकार ने शासन के आदेश के खिलाफ लिखे गए सुशोभन बैनर्जी के पत्र को अपनी ढाल बना लिया है।
शेफाली तिवारी का इतिहास कई किस्से कहानियों से भरा पड़ा है। जब वे होशंगाबाद जेल प्रभारी थीं तो तीन कैदी फरार हो गए थे। जेल मंत्री जगदीश देवड़ा ने जब छापा मारा तो जेल में गंदगी मिली पांच किलो गांजे की खेप बरामद हुई थी। शहला मसूद हत्याकांड में इंदौर की जेल में बंद सबा फारूखी और जाहिदा परवेज ने कमीशनखोरी के चक्कर में शेफाली तिवारी को बाल पकड़कर पीटा था। सतना में उनके बंगले से एक कैदी फरार हो गया। दो आरोपी जेल से फरार हो गए। जेल में मोबाईल बरामद हुए। दो कैदियों की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। जिसका मुकदमा अभी भी लंबित है। जेल प्रहरी मनीष शेखर ने उसकी प्रताड़ना से तंग आकर जहर खा लिया जिसकी विभागीय जांच चल रही है। बताते हैं कि कैदियों को बिना कागजी कार्रवाई रिहा कर देने की बात जैसे ही प्रशासन को मालूम चली तो उन्हें पुलिस से दुबारा धारा 151 में गिरफ्तार कराकर जेल में बंद करवा दिया। अब प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि कैदी यदि जेल में बंद थे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कैसे किया। जबलपुर की मूल निवासी इस जेल अधीक्षक ने कथित तौर पर एक कैदी से ही शादी रचा ली थी लेकिन बाद में उसे आजीवन कैद की सजा सुना दी गई तो बताते हैं उन्होंने अपने ही कंप्यूटर आपरेटर से शादी रचा ली। पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर से उनकी नजदीकियों के किस्से भी जेलों में चटखारे लेकर सुनाए जाते हैं। बताते हैं कि यही किस्से भोपाल जेल ब्रेक कांड की नींव बने थे।
हटाए गए जेल डीजी सुशोभन बैनर्जी के हवा हवाई फरमानों के बाद जब जेलरों के बीच ये बात फैल गई कि उन्हें मुख्यालय में चंदे की खेप पहुंचानी है तो कैदियों से चौथ वसूली की जाने लगी जिसका अंत भोपाल जेल ब्रेक और मुठभेड़ के रूप में सामने आया। ये जानकारियां पुलिस प्रशासन को भी हैं और सरकार के पास भी लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियतावादी नीतियों से तंग आकर जमीनी हालात सुधारने की सुध कोई अफसर नहीं ले रहा है।

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